लखनऊ: जितने बूथ उतनी कमेटियां। इन कमेटियों में भी जातीय समीकरण का ख्याल। नए वोटरों पर खास फोकस और समर्थक वोटरों के नाम वोटर लिस्ट में बनाए रखने की सतर्कता। सपा मुखिया अखिलेश के सोशल इंजीनियरिंग के इस खास प्लान पर पार्टी ने अमल करना शुरू कर दिया है। यह भाजपा के खिलाफ बन रहे महागठबंधन से पहले खुद को मजबूत करने की कवायद है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का आधार जातिगत समीकरण के साथ साथ जीताऊ उम्मीदवार भी होगा।
पार्टी ने प्रदेश के करीब एक तिहाई बूथ कमेटियां बना ली हैं। इसमें सोशल इंजीनियरिंग का खास ख्याल रखा गया है। विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कमेटियां बनाई गईं हैं। सबसे ज्यादा तवज्जो पिछड़ों, दलितों व मुस्लिमों को दी गई है, तो स्थानीय समीकरणों के हिसाब से सवर्णों को भी अहमियत दी गई है। पार्टी मुख्यिा अखिलेश यादव ने दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ा, अति पिछड़ा व सवर्णों नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ अलग-अलग बैठकें करके उनसे लोकसभा सीट के हिसाब से फीडबैक लिया है। इसी आधार पर महागठबंधन के प्रत्याशी चुने जाएंगे।
सूत्र बताते हैं कि सपा अब भाजपा का मुकाबला करने के लिए माइक्रो लेवल पर संगठन की मजबूती में लगी है। यही नहीं पार्टी अब वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान को लेकर खासी सतर्क है। वह यह बूथवार पक्का करने में लगी है कि उसके समर्थक वोटरों के नाम कट न जाएं। यही नहीं कार्यकर्ता अपने नए युवा समर्थकों को वोटर बनवाने में लग गए हैं। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम कहते हैं-हमारा संगठन का काम बिना हो हल्ले के चल रहा है। भाजपा के खिलाफ बन रहे माहौल से गांव गांव में लोग सपा की ओर मुड़ रहे हैं।
महागठबंधन से पहले का होमवर्क तेज
बसपा, कांग्रेस व रालोद के साथ महागठबंधन में सीटों के बटवारें की कवायद जल्द शुरू होगी। सूत्र बताते हैं कि बसपा व सपा के शीर्ष नेताओं में इस मुद्दे पर दो चरणों में बातचीत हो चुकी है। सपा की कोशिश है कि सीटे तय होने से पहले संगठन को मजबूत कर लिया जाए। इसके बाद खुद अखिलेश प्रचार अभियान पर निकलेंगे। वह रथयात्रा के साथ साथ साइकिल यात्रा भी कर सकते हैं।