पनामा सिटी: अमेरिका से निर्वासित एक भारतीय समूह के सुरक्षित रूप से पनामा पहुंचने की जानकारी पनामा सरकार ने भारत को दी है। पनामा में मौजूद 'भारतीय मिशन' स्थानीय सरकार के साथ मिलकर निर्वासितों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है।
पनामा, कोस्टा रिका और निकारागुआ में स्थित भारतीय दूतावास ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा की। हालांकि, इसमें पनामा पहुंचे भारतीयों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया। यह समूह उन 299 अप्रवासी लोगों का हिस्सा है जिन्हें अमेरिकी सरकार द्वारा पनामा भेजा गया है।
निर्वासितों के लिए पनामा ‘पुल’ की भूमिका निभाएगा: राष्ट्रपति मुलिनो
राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो की सहमति के बाद भारतीय निर्वासित तीन उड़ानों से पनामा पहुंचे थे। मुलिनो ने इस बात पर सहमति जताई थी कि निर्वासितों के लिए पनामा ‘पुल’ की भूमिका निभाएगा। ट्रंप प्रशासन ने अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वाले लाखों लोगों को निर्वासित करने की योजना बनाई है।
पनामा, निकारागुआ और कोस्टा रिका में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "पनामा के अधिकारियों ने हमें सूचित किया है कि अमेरिका से भारतीय नागरिकों का एक समूह पनामा पहुंचा हैं।" इससे पहले, अमेरिका से तीन जत्थों में कुल 332 भारतीयों को भारत भेजा जा चुका है। ट्रंप प्रशासन की अवैध अप्रवासियों पर बढ़ती कार्रवाई के बीच यह निर्वासन हुआ है।
पनामा में लगभग 300 लोगों को एक होटल में रोका गया है, जिन्हें अमेरिका ने निकाला है। ये लोग अलग-अलग देशों के हैं और जब तक उनकी वापसी की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक उन्हें होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, 40% से ज्यादा प्रवासी अपने देश लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। होटल में बंद प्रवासियों ने खिड़कियों पर संदेश लिखे हैं, जिनमें लिखा है - मदद करें और हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं।
पनामा के उप विदेश मंत्री रुइज हर्नांडेज ने कहा कि 97 लोगों को एक शिविर में ले जाया गया। वे बंदी नहीं हैं। यह एक प्रवासी शिविर है। जहां उनकी देखभाल की जाएगी।
इन 10 एशियाई देशों के हैं 300 प्रवासी
जानकारी के मुताबिक, सभी प्रवासी 10 एशियाई देशों से आए हैं, जिसमें ईरान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के लोग शामिल हैं। अमेरिका के लिए इन देशों में सीधा निर्वासन करना मुश्किल है, इसलिए पनामा को एक ठहराव के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रवासियों को दी जा रही बुनियादी सुविधाएं
पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने दावा किया है कि, सभी प्रवासियों चिकित्सा सुविधा और खाना मिल रहा है। यह पूरी व्यवस्था अमेरिका और पनामा के बीच हुए एक समझौते के तहत हो रही है। अमेरिका इस पूरे ऑपरेशन का खर्च उठा रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो, जो ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण को लेकर दी गई धमकियों के कारण राजनीतिक दबाव में हैं, ने पिछले गुरुवार को पहली डिपोर्टेशन फ्लाइट के आने की घोषणा की थी।
अपने देशों को लौटने के लिए तैयार प्रवासी
रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 300 लोगों में से 171 प्रवासी अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद से अपने-अपने देशों को लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) बाकी 128 लोगों के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें। वहीं जो प्रवासी अपने देश वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें पनामा के दारिएन प्रांत के एक विशेष केंद्र में रखा जाएगा।