श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग का कर्मचारी शामिल हैं। उपराज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया क्योंकि जांच में यह पाया गया कि इनकी आतंकवादी संगठनों से संबंध थे। यह कार्रवाई उपराज्यपाल द्वारा सुरक्षा समीक्षा बैठक के अगले दिन की गई थी, जिसमें उन्होंने आतंकियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ अभियान का निर्देश दिया था।
फिरदौस अहमद भट (कांस्टेबल जम्मू कश्मीर पुलिस)
फिरदौस भट्ट जो 2011 में कांस्टेबल बना था जिसने लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन के लिए काम किया। मई 2024 में आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में वे कश्मीर के कोट भलवाल जेल में बंद हैं। भट्ट ने आतंकवादी हमलों के लिए हथियारों की आपूर्ति करने में मदद की थी और कई पुलिस अधिकारियों को भी धमकियां दी थीं।
निसार अहमद खान (कर्मचारी वन विभाग) निसार अहमद खान ने 1996 में वन विभाग में कार्य शुरू किया और वे आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम कर रहा था। जो 2000 में एक बड़े आतंकवादी हमले में सहयोग किया था और फिर 2016 में घाटी में हिंसा भड़काने का काम किया।
मोहम्मद अशरफ भट्ट (शिक्षक)
अशरफ भट्ट जो 2008 में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए थे जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम किया और युवा छात्रों को आतंकवाद के लिए उकसाया। और वह 2022 में गिरफ्तार किया गया और वे वर्तमान में रियासी जिला जेल में बंद हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने इन कर्मचारियों को धोखेबाज और देशद्रोही करार दिया, जिन्होंने भारतीय राज्य से वेतन प्राप्त करने के बावजूद आतंकवादी गतिविधियों में भाग लिया।