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भोपाल: बीजेपी शासित राज्यों में जो बुलडोजर इंसाफ का चलन चला है, उसका खामियाजा कई बेगुनाहों को भी झेलना पड़ा है। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से सामने आया है। यहां के एक पूर्व पार्षद शफीक अंसारी पर रेप का आरोप लगा था। अब कोर्ट ने शफीक अंसारी को रेप के आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने ये भी पाया कि महिला ने आरोप इसलिए लगाए, क्योंकि शफीक अंसारी ने महिला के ख़िलाफ़ एक शिकायत की थी। इसी शिकायत के आधार पर महिला का घर तोड़ दिया गया था। बाद में रेप की शिकायत के बाद शफीक अंसारी का घर भी तोड़ दिया गया था। अब उन्होंने कहा है कि वो अपने ध्वस्त घर के लिए मुआवजे की मांग करेंगे। इसके लिए वो उचित मंच का दरवाजा खटखटाएंगे।

इस घटना के शिकार शफीक अंसारी ने इस मामले पर अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, मैं जल्द ही घर तोड़े जाने के ख़िलाफ़ अपील दायर करने जा रहा हूं। जमानत पर बाहर आने के बाद मुझे अपने भाई के घर पर रहना पड़ा। अब मैं अपने पैतृक घर में शिफ्ट हो गया हूं।

उन्होंने कहा, इस मामले की वजह से मेरे पूरे परिवार को नुकसान उठाना पड़ा।

शफीक अंसारी ने एक और अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “मैंने अपनी मेहनत की कमाई से 4,000 वर्ग फ़ीट ज़मीन पर घर बनाया था। लेकिन अब वहां सिर्फ़ मलबा है। हम अपने भाई के घर में रह रहे हैं। हमारे पास सभी कागजात थे। आरोप लगाया गया था कि घर बिना अनुमति के बनाया गया था। लेकिन हमें रिकॉर्ड दिखाने या कुछ भी कहने का मौक़ा नहीं दिया गया। इसे बस तोड़ दिया गया। मेरा सात लोगों का परिवार है। उन सभी को मुश्किल हुई। मैं तीन महीने के लिए जेल गया था।’’

यह मामला 2021 में शुरू हुआ था जब शफीक अंसारी, जो उस समय सारंगपुर नगर नगरपालिका के पार्षद थे, ने एक महिला के खिलाफ मादक पदार्थों के अवैध व्यापार की शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद नगर निगम ने महिला के घर को अतिक्रमण के कारण गिरा दिया। इसके कुछ ही दिनों बाद महिला ने शफीक अंसारी पर रेप का आरोप लगाया। महिला ने दावा किया कि शफीक ने 4 फरवरी, 2021 को उसे अपने घर बुलाया था और शादी में मदद करने के बहाने उसके साथ बलात्कार किया। महिला की शिकायत के बाद 13 मार्च, 2021 को शफीक अंसारी का घर बुलडोजर से तोड़ दिया गया। शफीक ने बताया कि वे उस वक्त फरार थे और बाद में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें तीन महीने जेल में रहना पड़ा।

राजगढ़ ज़िले के फ़र्स्ट एडिशनल सेशन जज चित्रेन्द्र सिंह सोलंकी ने 14 फरवरी, 2025 को शफीक अंसारी को बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि महिला और उसके पति की गवाही में बहुत अंतर था और आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला के साथ यौन संबंध बनाने का दावा मेडिकल या वैज्ञानिक तरीके से साबित नहीं हुआ। इसके अलावा, महिला ने आरोप दर्ज करने में काफी देर की, जिसका कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया। कोर्ट ने यह माना कि महिला का आरोप पूरी तरह से बुनियादी साक्ष्य से परे था। महिला ने पहले अपने बेटे की शादी के कारण पुलिस को सूचित नहीं किया, लेकिन इसके बावजूद आरोपों को साबित करने में कोई मदद नहीं मिली। शफीक अंसारी के खिलाफ किसी प्रकार के साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए, जो उनकी ग़लत कार्रवाई को साबित कर सकें।

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