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नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि फर्जी खबरों के प्रसार से सच्ची जानकारी दब जाती है और गलत सूचना में लोकतांत्रिक चर्चा को कमजोर करने की ताकत होती है। “डिजिटल युग में नागरिक स्वतंत्रता को कायम रखना: निजता, निगरानी और स्वतंत्र अभिव्यक्ति” विषय पर 14वें न्यायमूर्ति वीएम तारकुंडे स्मृति व्याख्यान में सीजेआई ने कहा कि फर्जी खबरों का लक्ष्य समाज के मूलभूत तत्वों अर्थात् सत्य की स्थिरता को नष्ट करना है।

सीजेआई ने कहा, “प्रसार के पैमाने के आधार पर, फर्जी खबरें सच्ची जानकारी को खत्म कर देती हैं, जिससे विमर्श का चरित्र सच्चाई की जगह सबसे तेज आवाज से दब जाता है।”

उन्होंने कहा, “इसलिए, दुष्प्रचार में लोकतांत्रिक चर्चा को हमेशा के लिए खराब करने की शक्ति होती है, जो स्वतंत्र विचारों के बाजार को नकली कहानियों के भारी बोझ के नीचे पतन की ओर धकेल देती है।” सीजेआई ने कहा कि हर दिन अखबार पर एक सरसरी नजर डालने से फर्जी अफवाहों और लक्षित दुष्प्रचार अभियानों से भड़की सांप्रदायिक और नैतिकता के पैरोकार बनकर की जाने वाली हिंसा की घटनाएं देखने को मिलती हैं।

नर्ई दिल्ली: सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोप के मामले में एथिक्स कमेटी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट सोमवार (4 दिसंबर) को लोकसभा में पेश करेगी। इसी दिन यानि चार दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और 22 दिसंबर तक चलेगा।

बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति (एथिक्स कमेटी) ने नौ नवंबर को मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की थी। समिति के छह सदस्यों ने निष्कासित करने वाली रिपोर्ट का समर्थन किया था, तो वहीं चार ने इसका विरोध किया था। कमेटी के सामने इस दौरान मोइत्रा भी पेश हुईं थी। उन्होंने और समिति में शामिल अन्य विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि उनसे निजी सवाल किए गए हैं। इसको खारिज करते हुए विनोद कुमार सोनकर ने कहा था कि ऐसा नहीं है।

हाल ही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल करने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे गिफ्ट लिए हैं।

नई दिल्‍ली (जनादेश ब्यूरो): मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएलएलएफ) ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये और हिंसा त्यागने पर सहमति जताई। यूएनएलएफ मणिपुर की इंफाल घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह है। अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है।

अमित शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गयी... पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है, क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नयी दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।"

अमित शाह ने कहा, "मणिपुर की घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।"

अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ किया गया शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष के अंत का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।"

मिजोरम में पीएम मोदी एक भी जनसभा नहीं कीगौरतलब है कि पांच राज्यों के चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य में सरकार की उपलब्धी के तौर पर मणिपुर के एक सशस्त्र उग्रवादी गुट के साथ शांति समझौते को अमलीजामा पहनाया है। ​मणिपुर पिछले कई महीनों से जातीय हिंसा का शिकार है। हिंसा में सैंकड़ों मौत हो चुकी हैं। हाल में संपन्न पांच राज्यों के चुनाव में पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में भी चुनाव था। पीएम मोदी ने चार राज्यों में 40 से ज्यादा जनसभाओं के अलावा कई रोड़ शो किये। लेकिन पूर्वोत्तर के चुनावी राज्य मिजोरम में एक भी जनसभा नहीं की।

पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र सरकार की उपलब्धियां

सरकार ने पूर्वोत्तर की उपलब्धियों के बखान के लिए कुछ आंकड़े भी जारी किये है। जिनके मुताबिक, 2014 से अब तक 8,000 से अधिक उग्रवादी सरेंडर कर चुके हैं।

समझौतों से समाधान तक (कुल 09 महत्वपूर्ण शांति समझौते):- एएनवीसी समझौता(2014), एनएलएफटी/एसडी समझौता (2019), ब्रू समझौता (2020), बोडो समझौता(2020), कार्बी समझौता (2021), अफ्स्पा की परिधि में कमी।

असम में अब 70% से अधिक क्षेत्र अफ्स्पा से मुक्त हो चुका हैं।

मणिपुर के 7 जिलों के 19 पुलिस स्टेशनों को अशांत क्षेत्र की परिधि से बाहर किया गया है।

अरूणाचल प्रदेश में अब केवल 3 जिलों और 1 अन्‍य जिले के 3 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों में अफ्स्पा बचा है।

नागालैंड में 8 जिलों के 18 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया गया।

त्रिपुरा और मेघालय: यहां से अफ्स्पा पूरी तरह से हटा लिया गया।

 मणिपुर में शांति और प्रगति का एक नया युग शुरू हुआ:  मुख्यमंत्री 

इस बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, "आज नयी दिल्ली में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के कुशल नेतृत्व में संभव हुआ।" मुख्यमंत्री ने कहा, "उनके निरंतर मार्गदर्शन से, मणिपुर में शांति और प्रगति का एक नया युग शुरू हुआ है। कई लोग भाजपा सरकार के प्रति अपना भरोसा और विश्वास बढ़ा रहे हैं, जिससे अब विकास और प्रगति का एक अध्याय खुल गया है।"

 

नर्ई दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। उससे पहले अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल के नतीजे जारी हो गए हैं। जिसमें अधिकतर एजेंसियों के सर्वे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच करीबी टक्कर दिखाई गई है, हालांकि न्यूज़24-टूडे चाणक्य के एग्जिट पोल में कांग्रेस और बीजेपी की सीटों के बीच अच्छे खासे गैप का अनुमान जताया गया है। इसके मुताबिक, मध्य प्रदेश में बीजेपी को 151 और कांग्रेस को 74 सीटें मिलने के आसार हैं। वहीं दैनिक भास्कर ने बीजेपी को 95-115 और कांग्रेस को 105-120 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। जन की बात के एग्जिट पोल ने बीजेपी को 100-123 और कांग्रेस को 102 से 125 सीटें मिलने का अनुमान जताया है।

राजस्थान के अधिकतर एग्जिट पोल में बीजेपी को बहुमत के आसार जताए गए हैं, लेकिन इंडिया टीवी-सीएनएक्स के एग्जिट पोल में बीजेपी को बहुमत की 100 सीटों से कम मिलने का अनुमान जताया गया है। इसके मुताबिक, बीजेपी को 80-90 और कांग्रेस को 94-100 सीटें मिलने का अनुमान है।

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