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नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के इरादे से अपने लाखों एजेंटों को ‘प्वाइंट ऑफ सेल’ (पीओएस) मशीन उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। ये एजेंट सालाना 1.5 लाख करोड़ प्रीमियम संग्रह करते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की रणनीति के तहत एलआईसी शुरुआत में कुछ लाख सक्रिय एजेंटों को पीओएस मशीलें उपलब्ध करा रही है ताकि प्रीमियम संग्रह डिजिटल तरीके से किया जा सके।’ अधिकारी ने कहा कि एलआईसी आधार से जुड़ा डिजिटल लेन-देन शुरू करने पर भी विचार कर रही है। एलआईसी के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में पालिसीधारकों को नकद में प्रीमियम का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। उसने कहा कि एलआईसी की फिलहाल करीब 1.5 लाख एजेंटों को पीओएस मशीनें उपलब्ध कराने की योजना है।
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नई दिल्ली: नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुये चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 फीसदी रही है, जबकि पूरे वर्ष की वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी 7.1फीसदी पर पूर्ववत रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आज जारी तीसरी तिमाही और पूरे वर्ष के अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर को 7.1फीसदी पर कायम रखा है। इससे पहले जनवरी में नोटबंदी के प्रभाव को शामिल किये बिना जारी पहले अग्रिम अनुमान में भी पूरे वर्ष की वृद्धि का यही आंकड़ा जारी किया गया था। इस बीच, सीएसओ ने पहली और दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के संशोधित आंकड़े जारी किये हैं जिनमें पहली तिमाही में संशोधित वृद्धि दर बढ़कर 7.2फीसदी और दूसरी तिमाही में 7.4फीसदी हो गई। ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि तीसरी तिमाही के मध्य में (8 नवंबर, 2016) के नोटबंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुये होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने इस दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है। इन संगठनों का मानना है कि नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अल्पावधि असर हुआ है।
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नई दिल्ली: केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के लिये तीसरे वेतन आयोग ने उपक्रमों के कार्यकारियों के लिये न्यूनतम वेतन 30,000 रुपये प्रति माह और चेयमैरन-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के लिये अधिकतम 3.7 लाख रुपये मासिक वेतन रखे जाने की सिफारिश की है। सिफारिशों के अनुसार निदेशक मंडल स्तर से नीचे के कार्यकारियों के लिये न्यूनतम मासिक वेतन 12,600 रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 30,000 रुपये प्रति माह किये जाने की सिफारिश की गयी है। हालांकि, सीएमडी के मामले में अनुसूची ए सीपीएसई के लिये अधिकतम वेतन 3.7 लाख रुपये मासिक किये जाने की सिफारिश की गयी है। अनुसूची बी, सी और डी श्रेणी के केंद्रीय लोक उपक्रमों के मामले में अधिकतम मासिक वेतन क्रमश: 3.2 लाख रुपये, 2.9 लाख रुपये और 2.8 लाख रुपये करने की सिफारिश की गयी है। न्यायमूर्ति सतीश चंद्रा समिति की सिफारिशें एक जनवरी 2017 से अमल में आएंगी। इसे मंजूरी के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास रखा जाएगा।लाभ के आधार पर सार्वजनिक उपक्रमों को विभिन्न अनुसूची में वर्गीकृत किया जाता है। सर्वाधिक मुनाफे वाली कंपनी को अनुसूची ए में रखा जाता है। देश में अनुसूची ए के अंतर्गत 64, बी के अंतर्गत 68, सी के अंतर्गत 45 और डी के अंतर्गत चार लोक उपक्रम हैं। समिति ने आवास भत्ता (एचआरए) के बारे में भी सिफारिशें की है।
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी के लिये मंत्रालयों के लिए मानक प्रक्रिया :एसओपी: तैयार कर सकता है। सरकार ने एफआईपीबी को समाप्त करने का निर्णय किया है और इसके बाद अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्तावों पर निर्णय संबंधित मंत्रालय ही करेंगे।संवेदनशील क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मंजूरी के लिये नियम स्थापित करने के प्रस्ताव पर हाल में अंतर-मंत्रालयी बैठक में चर्चा हुई। फिलहाल यह सरकार की मंजूरी के अंतर्गत आता है। सूत्रों के अनुसार बैठक में कई विकल्पों पर चर्चा हुई। व्यापार सुगमता में और सुधार लाने के लिये सरकार ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड समाप्त करने और विदेशी निवेश प्रस्तावों की शीघ्रता से मंजूरी के लिये एक नई व्यवस्था गठित करने का निर्णय किया है। एफआईपीबी को समाप्त करने पर एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी अब मंत्रालय और संबंधित नियामकीय प्राधिकरण के पाले में होगी।सूत्रों के अनुसार अंतर-मंत्रालयी समिति ने एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी के साथ लाइसेंस देने की संभावना पर भी चर्चा की। रक्षा और दूरसंचार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में जिन कंपनियों के पास लाइसेंस होगा, वे ही विदेशी निवेश की मंजूरी मांग सकते हैं।दूरसंचार मंत्रालय का उदाहरण देते हुए सूत्रों ने कहा कि सरकार एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी देने की शक्ति उसी मंत्रालय को दे सकती है। उसने कहा, ‘रिजर्व बैंक से प्रत्येक मंत्रालया के लिये मानक परिचालन नियाम तैयार करने का अनुरोध किया जा सकता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश से एफडीआई प्रस्तावों पर विचार करके उस पर सुझाव देने का काम गृह मंत्रालय को मिल सकता है।’
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