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नई दिल्ली: कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक मार्च से बैंकिंग नियमों में कई बड़े बदलाव हुए है। निजी और सरकारी बैंकों ने लेन-देन पर चार्ज वसूलने की तैयारी कर ली है। एक मार्च से फ्री ट्रांजेक्शन लिमिट के बाद ग्राहक से अब हर ट्रांजेक्शन के लिए फीस और सर्विस चार्ज वसूला जाएगा। अगर आपका सेविंग अकाउंट भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में है तो आप माह में एटीएम से तीन बार ही कैश ट्रांजेक्शन फ्री में कर पाएंगे। अगर आप इससे ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन करते है तो आपको हर ट्रांजेक्शन पर 50 रुपए और सर्विस चार्ज देना होगा। भारतीय स्टेट बैंक ने 1 अप्रैल 2017 से यह नियम लागू करने का फैसला किया है। साथ ही बैंक ने व्यवसायिक प्रतिनिधि और पीओएस से नकदी निकालने पर निर्धारित सीमा के बाद शुल्क लगेगा। एटीएम निकासी की सीमा को भी सीमित करने के लिए फिर से रिजर्व बैंक के नियम लागू हो जाएंगे। एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीसीआई और एक्सिस बैंक ने नए नियम को लागू करने का फैसला किया है। ऐसा लोगों को नकदी के इस्तेमाल के प्रति हतोत्साहित करने के लिए किया गया है। एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने एक महीने में चार बार से अधिक धन जमा करने या निकासी पर न्यूनतम 150 रुपये शुल्क लगाना आज से शुरू किया।
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नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अंशधारकों को आधार संख्या दिये बिना अपने पेंशन खाते से पूर्ण निकासी की अनुमति दे दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जो सदस्य कोष की निकासी के लिये दावा फार्म भरते हैं, उन्हें आधार देने की जरूरत नहीं है। इससे पहले के आदेश में आधार को अनिवार्य किया गया था।’ जिन अंशधारकों की सेवा 10 साल से कम है, वे 10 सी फार्म के जरिये पेंशन खाते में जमा पूरी राशि की निकासी के लिये आवेदन कर सकते हैं। Ads by ZINC हालांकि, अधिकारी ने कहा कि जो सदस्य फार्म डी के जरिये अपनी पेंशन को नियत करने का दावा करते हैं, उन्हें आधार संख्या देने की आवश्यकता होगी। सदस्यों को राहत देने के कारण के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘फार्म 10सी के तहत आधार संख्या की आवश्यकता से निकासी मामलों के निपटान में कई मुद्दे खड़े होने लगे। अंतत: यह निर्णय किया गया है कि पेंशन निर्धारण हेतू (10 डी फार्म के तहत) कुछ समय के लिये आधार को अनिवार्य रखा जाना चाहिए न कि 10सी के तहत निकासी मामले में यह व्यवस्था रखनी चाहिये।’
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नई दिल्ली: एनडीए सरकार के ढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में पहली बार रसोई गैस सिलेंडर के दाम 700 रुपए के ऊपर निकल गए हैं। मंगलवार को रेट रिवीजन के बाद घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के बाजार भाव में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। गौरतलब है कि घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर सरकार सब्सिडी देती है, जो अब रसोई गैस धारक के बैंक कहते में सीधे जमा होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोती इन दिनों जहाँ एक और गरीब महिलाओं को रसोई गैस फ्री उपलब्ध करवाने का अभियान चला रहे हैं , वहीँ दूसरी तरफ वह देश की खातिर रसोई गैस धारक से सब्सिडी छोड़ने की अपील भी कर रहे हैं। बहरहाल अब घरेलू सिलेंडर 86.50 रुपए महंगा होने के साथ 777 रुपए का हो गया है। जबकि कामर्शियल गैस सिलेंडर पर 149.50 रुपए और पांच किलो वाले छोटू सिलेंडर पर 30.50 रुपए का इजाफा हुआ है। रेट रिवीजन के बाद घरेलू गैस सिलेंडर (14.2 किलो) 777 रुपए का हो गया है। अभी तक यह उपभोक्ताओं को 691 रुपए का मिल रहा था। जबकि कामर्शियल सिलेंडर (19 किलो) के दाम 1330 रुपए से बढ़कर 1479.50 रुपए हो गया है। छोटू सिलेंडर पर 30.50 रुपए के इजाफे के बाद 252 का सिलेंडर 282.50 रुपए का हो गया है। ये बढ़ी हुई दरें मंगलवार आधी रात से लागू हो गई हैं। छह माह में 270 रुपए महंगा हुई रसोईं गैस बीते छह माह में रसोई गैस सिलेंडर के बाजार भाव में 270.50 रुपए का इजाफा हो गया है।
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लंदन: ब्रिटेन की यात्रा पर आए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत बैंकों का कर्ज लेकर उसे नहीं चुकाने वालों के मामले को बड़ा गंभीर मामला मानता है। उनके इस बयान का संकेत यह माना जा रहा है कि जेटली ब्रिटेन के मंत्रियों के साथ बातचीत में शराब व्यवसायी विजय माल्या का मुद्दा उठा सकते हैं। जेटली से यहां संवाददाताओं ने पूछा था कि क्या वह भारत में कर्ज न चुका कर ब्रिटेन में बैठे व्यक्तियों का मसला यहां के मंत्रियों के साथ अपनी बातचीत में उठाएंगे। जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘निश्चि रूप से। जब मौका मिलता है तो मैं यहां अपने समकक्ष लोगों के सामने यह बात उठता हूं।’ जेटली के पास कापरेरेट मामलों के मंत्रालय का प्रभार भी है। वह आज यहां ब्रिटेन के वित्त मंत्री से मिलने वाले हैं। जेटली ने कहा, ‘भारत सरकार का जहां तक सवाल है तो हम अपनी वित्तीय प्रणाली के प्रति देनदारी में चूक के मामले को बहुत गंभीर मामला मानते हैं। हमने पहले ही मजबूत संकेत दे रखा है कि यदि आप सरकारी खजाने के साथ धोखाधड़ी करते हैं या आप बैंकिंग व्यवस्था को छकाना चाहते हैं तो सरकार वित्तीय संस्थानों को अपनी ओर से पूरी मदद करेगी ताकि वे अपना एक-एक पैसा वसूल सकें।’ उन्होंने कहा कि सरकार के इस सख्त रवैए के चलते ही कर्ज न देने वाले कई व्यक्ति ‘भागे-भागे फिर रहे हैं’ और दूसरे देशों में शरण लेकर वहां की व्यवस्था की ओट ले रहे हैं।
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