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मुंबई: आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनना इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा और दशा को प्रभावित कर सकता है। आदित्यनाथ को हिंदूवादी राजनीति का चेहरा कहा जाता है और उनके मुख्यमंत्री बनने से एक वर्ग में केंद्र की भावी सुधारात्मक नीतियों को लेकर चिंता जताई जा रही है। बाजार विश्लेषकों में विशेषकर विदेशी निवेशकों द्वारा किसी तरह की बड़ी बिकवाली को लेकर चिंता है जो कि इस तरह की किसी भी घटना पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली अप्रत्याशित भारी जीत के बाद से ही शेयर बाजार में तेजी का रूख था। विशेषज्ञों का मानना है कि हिंदूवादी एजेंडा के प्रति झुकाव के बावजूद बाजार विकासत्मक मुद्दों पर पार्टी के रूख को लेकर आश्वस्त था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ की इस ‘अप्रत्याशित’ ताजपोशी बड़े निवेशकों द्वारा बिकवाली का कारण बन सकती है। बीते सप्ताह शुक्रवार को निफ्टी 9,160 अंक की नयी उंचाई पर बंद हुआ जबकि सेंसेक्स भी चढ़कर 29,648.99 अंक पर बंद हुआ। हालांकि कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि जीएसटी के कार्यान्वन की दिशा में आगे बढ़ने जैसी घटनाएं ही अंतत: शेयर बाजार की दिशा तय करेंगी वैसे उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम का असर शुरुआती कारोबार में रह सकता है।
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सूरजकुंडः हरियाणा के सूरजकुंड में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार (18 मार्च) को देश के किसानों को आश्वस्त किया कि वर्ष 2022 तक उनकी आय दोगुनी हो जायेगी। उन्होंने कृषि क्षेत्र में विकास की व्यापक संभावनायें बताते हुये उसे 21वीं सदी का उभरता हुआ क्षेत्र बताया। राजनाथ सिंह ने इन आशंकाओं को दरकिनार किया कि खेती-किसानी का भविष्य अंधकारमय है। इसके विपरीत उन्होंने कहा कि किसानों का भविष्य काफी उज्जवल है। गृहमंत्री यहां हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की अपनी योजना पहले ही बता दी है और हम उनकी इस योजना को वास्तविकता में बदलेंगे।’ गृहमंत्री ने किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसानों के समक्ष खेती की उंची लागत और कृषि उपज को उचित दाम पर बेचने जैसी कई समस्यायें हैं। सिंह ने इन आशंकाओं को दूर किया कि भारतीय किसानों का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं और मुझ जैसे कई लोगों का यह मानना है कि कृषि क्षेत्र में वृद्धि की संभावना न तो समाप्त हुई है और न ही यहां किसानों का भविष्य अंधकारमय है।’ गृहमंत्री ने अपनी बात को और मजबूती देते हुये कहा कि दुनियाभर में कई लोग यह मानने लगे हैं कि 21वीं सदी में खेतीबाड़ी ही एकमात्र उभरता हुआ क्षेत्र है।
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नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने देश में वित्त वर्ष का समय बदलकर जनवरी-दिसंबर करने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि अप्रैल से मार्च के वित्त वर्ष की अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई दशकों पुरानी परपंरा समाप्त कर दी जानी चाहिए। वित्त वर्ष की मौजूदा व्यवस्था भारत सरकार ने 1867 में अपनायी थी. इसका मुख्य उद्देश्य भारत के वित्त वर्ष को ब्रिटेन सरकार के वित्त वर्ष के साथ मिलाना था। 1867 से पहले भारत में वित्त वर्ष एक मई से शुरू होता था और अगले वर्ष 30 अप्रैल को समाप्त होता था। कांग्रेस सांसद एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने बजट पेश करने की तिथि पहले खिसकाने के मामले में जल्दबाजी को लेकर वित्त मंत्रालय की आलोचना की। समिति ने कहा कि बजट एक महीना पहले पेश किये जाने से पहले अच्छी तैयारी और पर्याप्त जमीनी कार्य किये जाने चाहिये थे। रिपोर्ट के अनुसार, ‘समिति उम्मीद करती है कि सरकार अगले साल से अच्छी तैयारी करेगी। इस संदर्भ में बाधा को ध्यान में रखते हुए समिति यह सुझाव देगी कि वित्त वर्ष को भी उसी हिसाब से बदलकर कैलेंडर वर्ष कर दिया जाए।’
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नई दिल्लीः आयकर विभाग ने ऐसी 29 कंपनियों और लोगों के नाम सार्वजनिक किये हैं जिनके उपर 448.02 करोड़ रपये का कर बकाया है और वह उसका भुगतान नहीं कर रहे हैं । बकाया कर नहीं चुकाने वालों के नाम सार्वजनिक कर उन्हें शर्मिंदा करने की रणनीति के तहत विभाग ने यह कदम उठाया है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर आयकर विभाग ने आयकर और कंपनी कर नहीं चुकाने वालों की सूची जारी की है। विभाग ने इन लोगों को ‘‘बकाया कर जल्द से जल्द चुकाने’’की भी सलाह दी है। आयकर विभाग ने इससे पहले भी यह कदम उठाया था। उस समय भी विभाग ने ऐसे 67 लोगों की सूची जारी की थी जिनके उपर भारी कर देनदारी बकाया है। लेकिन तब ऐसे लोगों का या तो अता-पता नहीं चला या फिर उनके पास वसूली के लिये कोई संपत्ति ही नहीं थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक की गई सूची में ऐसे व्यक्तियों अथवा कंपनियों के पैन कार्ड नंबर, उनका अंतिम उपलब्ध पता और उन पर बकाया राशि के बारे में जानकारी प्रकाशित की गई है ताकि आम जनता को उनके बारे में जागरक किया जा सके और कोई भी जानकारी होने पर वह विभाग को सूचित कर सकें। विज्ञापन में प्रकाशित 29 व्यक्तियों और कंपनियों पर कुल मिलाकर 448.02 करोड़ रपये का कर बकाया है।
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