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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: सरकार ने आज (मंगलवार) कहा कि वह किसानों से उनके उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदनें को प्रतिबद्ध है और दलहन का 20 लाख टन बफर स्टाक बनाने की दिशा में पहल करते हुए अभी तक 15 लाख टन खरीद की जा चुकी है। शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के मल्लिकाजरुन खडगे ने कर्नाटक समेत देश के विभिन्न हिस्सों में दलहन के अधिक उत्पादन को देखते हुए सरकार से आग्रह किया कि वह किसानों से दलहन विशेष तौर पर अरहर की खरीद सुनिश्चित करे। खाद्य, आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि जो सवाल खडगे जी ने उठाया है और मांग की है कि अरहर समेत तीन लाख टन अतिरिक्त दलहन की खरीद की जाए। ऐसे में हम कहना चाहेंगे कि नैफेड कृषि मंत्रालय के तहत आता है और हमने तुरंत 50 हजार टन खरीद के आदेश दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसान के उत्पादों को एमएसपी पर खरीदा जाना चाहिए। पहली बार हमने 20 लाख टन का बफर स्टाक बनाने का निर्णय किया है और अब तक 15 लाख टन की खरीद की जा चुकी हैं। पासवान ने कहा कि जहां तक एमएसपी और बोनस का सवाल है, ऐसे में हम कहना चाहेंगे कि हमें किसानों के उत्पाद को एमएसपी पर खरीदना है, दूसरा पैसे का भी सवाल होता है जो वित्त मंत्रालय से जुड़ा होता है। ‘ हमें रन भी बनाना होता है और विकेट भी बचाये रखना होता है। ’’

नई दिल्ली: ब्लैकमनी पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए सरकार ने नकद लेन देन की सीमा को तीन लाख से घटाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव सदन में रखा है। सरकार ने आज (मंगलवार) वित्त विधेयक में करीब 40 संशोधन पेश किये हैं। आपको बता दें कि इससे पहले सरकार ने बजट सत्र के दौरान कैश में ज्यादा से ज्यादा 3 लाख रुपये की लिमिट रखी थी। अगर इससे बड़ी रकम का नकद लेन देन किया जाता है, तो सरकार 1 अप्रैल 2017 से उस पर जुर्माना वसूलेगी । राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि की है और कहा है कि अगर कोई इससे ऊपर खर्च करता है तो उसी के बारबर राशि का जुर्माना देना होगा। लेन देन की इस लिमिट में बदलाव वित्त विधेयक में संशोधन करके किया जाएगा। इस बिल पर संसद में अभी चर्चा की जाएगी। लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस और आरएसपी जैसे दलों ने वित्त विधेयक के साथ 40 कानूनों में संशोधनों को पेश करने का विरोध किया और इसे पिछले दरवाजे से की गई कवायद होने का आरोप लगाया। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विपक्षी दलों की आपत्तियों को खारिज करते हुए व्यवस्था दी कि संशोधनों से संबंधित आकस्मिक प्रावधानों को धन विधेयक के रूप में वित्त विधेयक का हिस्सा माना जा सकता है।

नई दिल्ली: टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो के आने के बाद कंपनियों के बीच ग्राहकों को लुभाने की होड़ चल रही है। इस बीच आइडिया का वोडाफोन में विलय का एलान हो गया। आइडिया सेलुलर बोर्ड ने वोडाफोन इंडिया लिमिटेड के साथ इसके पूर्ण स्वामित्व वाली वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज के कंपनी के साथ विलय को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद दोनों अब देश के सबसे बड़े टेलीकॉम प्रोवाइडर के तौर पर जाने जाएंगे। आइडिया और वोडाफोन की मर्जर वाली नई कंपनी में आदित्य बिड़ला चेयरमैन होंगे। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, आइडि‍या ने कहा है कि नई कंपनी में वोडाफोन के पास 45 फीसदी हि‍स्‍सेदारी होगी। वहीं, आइडि‍या के पास 26 फीसदी हि‍स्‍सेदारी होगी। आइडि‍या ने यह भी कहा है कि वोडाफोन करीब 4.9 फीसदी हि‍स्‍सेदारी आइडि‍या प्रोमोटर्स को ट्रांसफर करेगी। माना जा रहा है कि यह टेलि‍कॉम इंडस्‍ट्री की सबसे बड़ी डील है। मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी टेलिकॉम सेक्टर में देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी, जिसके करीब 38 करोड़ ग्राहक होंगे। पहले ये खबर थी कि रिलायंस जियो का मुकाबला करने के लिए आइडिया और वोडाफोन का मर्जर होने जा रहा है। इससे देशभर में फैले आइडिया और वोडाफोन से बड़ी संख्या में लोगों की सेवाएं समाप्त हो सकती हैं। दोनों कंपनियों के मर्जर से जुड़े लोगों का मानना है कि देश में तीन लाख से ज्यादा लोग टेलिकॉम इंडस्ट्री में नौकरी करते हैं।

नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) से जुड़े चार बिलों को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने मुआवजा कानून, केंद्रीय-जीएसटी, एकीकृत-जीएसटी और केंद्रशासित क्षेत्र-जीएसटी को मंजूरी दी। जीएसजी से जुड़े विधेयक इस हफ्ते संसद में धन विधेयक के तौर पर पेश किए जाएंगे। मंत्रिमंडल ने जीएसटी संबंधित चार विधेयकों- मुआवजा कानून, केंद्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी), एकीकृत जीएसटी (आई-जीएसटी), केंद्रशासित जीएसटी (यूटी-जीएसटी) को मंजूरी दे दी है.गौरतलब है कि 1 जुलाई से जीएसटी बिल लागू किए जाने की योजना है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था को लागू करने में सहायक चार विधेयकों के प्रारूप को मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अब इन विधेयकों को संसद में पेश किया जायेगा। राज्यों को राजस्व नुकसान की स्थिति में उसकी भरपाई से जुड़े मुआवजा विधेयक, केन्द्र में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने के लिये केन्द्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी), अंतर राज्यीय व्यापार के लिये एकीकृत जीएसटी (आई-जीएसटी) और केन्द्र शासित प्रदेश के लिये यूटी-जीएसटी विधेयकों को अब संसद में पेश किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार इन्हें धन-विधेयक के तौर पर पेश किया जायेगा। सूत्रों ने बताया, ‘जीएसटी से जुड़े पूरक विधेयकों के प्रारूप को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इन्हें अब इस सप्ताह संसद में पेश किया जायेगा।’

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