वॉशिंगटन: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कानूनी प्रक्रिया में किसी तरह की छूट देने से इंकार कर दिया है। कहा है कि जब वह देश में राष्ट्रपति पद पर थे तब इस छूट के हकदार थे लेकिन पद से हटने के बाद उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट में नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 6-3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति को कुछ ऐसे में मामलों में कानूनी प्रक्रिया में छूट हासिल है जिनसे संबंधित फैसले उन्होंने राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए हों। लेकिन आपराधिक मामलों में छूट का कोई प्रविधान नहीं है। इसलिए ट्रंप को 2020 का चुनाव हारने के बाद किए कृत्यों पर छूट नहीं मिल सकती है। इस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा चलाए जाने से छूट की ट्रंप की अर्जी को खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश ने बहुमत के आधार पर फैसले का एलान किया
अमेरिका में 18 सदी में देश की स्थापना के बाद यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति को आपराधिक मामलों में कानूनी प्रक्रिया में किसी तरह की छूट देने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट ने बहुमत के आधार पर लिए गए इस फैसले का एलान किया। विदित हो कि ट्रंप को निचली अदालत ने प्रक्रिया में किसी तरह की छूट देने से इंकार कर दिया था। इसी के बाद वह सुप्रीम कोर्ट आए थे।
ट्रंप आगामी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से संभावित प्रत्याशी
ट्रंप आगामी पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से संभावित प्रत्याशी हैं। कोर्ट में सुनवाई में ट्रंप के वकील ने कहा था चुनाव में मुकाबले से हटाने के लिए प्रतिद्वंद्वी पक्ष ने उनके मुवक्किल को मामले में झूठा फंसाकर ब्लैकमेल करने का प्रयास किया है। इसलिए उनके खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए।
ट्रंप पहले पूर्व राष्ट्रपति जिन्हें आपराधिक मामले में आरोपित किया गया
विदित हो कि ट्रंप अमेरिका के पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन्हें आपराधिक मामले में आरोपित किया गया और दोषी ठहराया गया है। ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी न्यायालयों में कई मुकदमे चल रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित मुकदमा पोर्न फिल्मों की स्टार स्टार्मी डेनियल्स के साथ उनके संबंधों के विषय में है। इस मामले में अपने संबंधों को छिपाने के लिए स्टार को अवैध रूप से धन का भुगतान करने के मामले में मैनहटन के न्यायालय ने ट्रंप की ओर से प्रस्तुत 34 साक्ष्य गलत पाए हैं। इस मामले में वह दोषी ठहराए गए हैं।