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लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा गरमाता जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की चिट्ठी, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बाद अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद में यह मुद्दा उठाया।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अखिलेश ने कहा कि आपके राज में न नौकरी की उम्मीद है, न रोजगार। आपने छोटे कारोबारी तक को इतना छोटा बना दिया है कि न तो वो अपना पेट भर सकता है और न ही किसी को नौकरी दे सकता है। सपा नेता ने कहा कि लैटरल एंट्री के नाम पर कुछ खास लोगों को रख लिया जाता है। आरक्षण के साथ जितना खिलवाड़ इस सरकार ने किया, उतना किसी ने नहीं किया होगा।

संसद से योगी सरकार पर हमलावर हुए अखिलेश यादव

पेपर लीक मुद्दे पर लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा "पेपर लीक क्यों हो रहे हैं? सच्चाई तो यह है कि सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि उसे युवाओं को नौकरी न देनी पड़े।"

अनुप्रिया ने क्या कहा था?

बीते दिनों एनडीए की सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए थे. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पत्र में साक्षात्कार के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में पिछड़े और दलितों की अनदेखी करने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने पत्र में लिखा कि प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया जाता है.

मीरजापुर सांसद ने आरोप लगाया था कि उन्हें योग्य नहीं कहकर छांट दिया जाता है. बाद में इस पद को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है. अनुप्रिया ने आग्रह किया कि इस व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाते हुए जरूरी कार्रवाई की जाए. उन्होंने सीएम को अभ्यर्थियों में पैदा हो रहे आक्रोश से भी अवगत कराया।

उन्होंने दो पन्ने के लंबे पत्र में लिखा कि आप भी सहमत होंगे कि अन्य पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति से आने वाले अभ्यर्थी भी इन परीक्षाओं में न्यूनतम योग्यता के आधार पर ही शामिल होते हैं।

 

 

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