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गुवाहाटी: असम के तेजपुर में एक महिला की कथित हत्या के मामले में शनिवार को सेना के एक पब्लिक रिलेशन ऑफिसर (पीआरओ) को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल अमरिंदर सिंह वालिया भारतीय सेना की 4 कॉर्प्स के डिफेंस पीआरओ के तौर पर काम कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि उन्हें एक महिला की कथित हत्या से जुड़े एक मामले में सेना की मदद से पुलिस ने हिरासत में लिया था।

पुलिस के मुताबिक कामरूप के चांगसारी में 15 फरवरी को एक 35 वर्षीय महिला का शव एक बड़े प्लास्टिक बैग में लिपटा मिला था।

महिला वाराणसी घूमने गई थीं, फिर लेफ्टिनेंट कर्नल वालिया से मिलने के लिए 14 फरवरी को गुवाहाटी पहुंची थीं।

पुलिस ने बताया कि महिला का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई और फिर उसके शव को हाइवे पर डाल दिया। शव को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

गुवाहाटी: गुवाहाटी हाई कोर्ट ने असम के एक सेवानिवृत्त सैनिक को ‘अवैध प्रवासी' ठहराने के विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) के आदेश को रद्द कर दिया है। विदेशी न्यायाधिकरण अर्द्ध न्यायिक निकाय हैं जो असम में रहने वाले उन लोगों की नागरिकता की स्थिति पर फैसला करते हैं जिन पर विदेशी होने का संदेह होता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्त सैनिक के इस मामले में मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा एफटी के पास इस विषय को भेज जाना ‘दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करने का' परिणाम लगता है।

अदालत ने ईआरओ पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। उच्च न्यायालय के मुताबिक जुर्माना राशि याचिकाकर्ता को उसे हुई असुविधा के लिए दी जाएगी।

ईआरओ ने स्थान सत्यापन के दौरान पूर्व सैन्यकर्मी जगत बहादुर चेत्री (85) का मामला कामरुप (मेट्रो) के एफटी के पास भेज दिया था। न्यायाधिकरण ने 10 जनवरी, 2012 को एकपक्षीय फैसला सुनाते हुए चेत्री को एक व्यवस्था के आधार पर विदेशी घोषित कर दिया था।

गुवाहाटी: बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किए जाने पर टिप्पणी करते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि इससे ‘‘लोगों के निजी जीवन में तबाही'' मची है और ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने बाल विवाह के आरोपियों पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो) और बलात्कार के आरोप जैसे कड़े कानून लगाने के लिए असम सरकार को फटकार भी लगाई और कहा कि ये ‘‘बिल्कुल विचित्र'' आरोप हैं। अग्रिम जमानत और अंतरिम जमानत के लिए आरोपियों के एक समूह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमन श्याम ने सभी याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रभाव से जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी।

जस्टिस ने कहा, ‘‘ये हिरासत में पूछताछ के मामले नहीं हैं. आप (राज्य) कानून के अनुसार आगे बढ़ें, हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। अगर आप किसी को दोषी पाते हैं, तो आरोपपत्र दायर करें। उसे मुकदमे का सामना करने दीजिए और अगर वह दोषी ठहराया जाता है तो उसे दोषी ठहराइए।''

गुवाहाटी: असम में विपक्ष की आलोचना और प्रदर्शन के बीच पुलिस ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखी है। बीते कुछ दिनों में 3000 से ज्‍यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच बाल विवाह पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने कुछ चुभने वाले सवाल उठाए हैं, जिसने बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए कठिन कानून के तहत आरोपों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। इन अपराधों के आरोपियों को पुलिस ने अस्थायी जेलों में रखा गया है, जिसका महिलाएं विरोध कर रही हैं, क्‍योंकि वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं।

पुलिस की कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि वर्षों पुराने मामलों को खत्म कर दिया है। वहीं, विशेषज्ञों ने बाल विवाह के मामलों में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण या पॉक्‍सो अधिनियम को लागू करने की वैधता पर भी संदेह जताया है। पॉक्सो कानून के तहत आरोपित नौ लोगों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए, जिनमें से एक मामले में न्यूनतम 20 साल की सजा हो सकती है, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो।

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