ताज़ा खबरें
केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज

गुवाहाटी: बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किए जाने पर टिप्पणी करते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि इससे ‘‘लोगों के निजी जीवन में तबाही'' मची है और ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने बाल विवाह के आरोपियों पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो) और बलात्कार के आरोप जैसे कड़े कानून लगाने के लिए असम सरकार को फटकार भी लगाई और कहा कि ये ‘‘बिल्कुल विचित्र'' आरोप हैं। अग्रिम जमानत और अंतरिम जमानत के लिए आरोपियों के एक समूह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमन श्याम ने सभी याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रभाव से जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी।

जस्टिस ने कहा, ‘‘ये हिरासत में पूछताछ के मामले नहीं हैं. आप (राज्य) कानून के अनुसार आगे बढ़ें, हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। अगर आप किसी को दोषी पाते हैं, तो आरोपपत्र दायर करें। उसे मुकदमे का सामना करने दीजिए और अगर वह दोषी ठहराया जाता है तो उसे दोषी ठहराइए।''

गुवाहाटी: असम में विपक्ष की आलोचना और प्रदर्शन के बीच पुलिस ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखी है। बीते कुछ दिनों में 3000 से ज्‍यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच बाल विवाह पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने कुछ चुभने वाले सवाल उठाए हैं, जिसने बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए कठिन कानून के तहत आरोपों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। इन अपराधों के आरोपियों को पुलिस ने अस्थायी जेलों में रखा गया है, जिसका महिलाएं विरोध कर रही हैं, क्‍योंकि वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं।

पुलिस की कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि वर्षों पुराने मामलों को खत्म कर दिया है। वहीं, विशेषज्ञों ने बाल विवाह के मामलों में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण या पॉक्‍सो अधिनियम को लागू करने की वैधता पर भी संदेह जताया है। पॉक्सो कानून के तहत आरोपित नौ लोगों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए, जिनमें से एक मामले में न्यूनतम 20 साल की सजा हो सकती है, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो।

नई दिल्ली: असम सरकार इन दिनों उन पुरुषों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है जिन्होंने 14 साल की कम उम्र की बच्ची से शादी की और बाद उनके साथ शारीरिक संबंध भी बनाया। राज्य सरकार ने बीते कुछ दिनों की कार्रवाई में राज्य भर में ऐसा करने वाले 2258 पुरुषों को गिरफ्तार भी किया है। जबकि ऐसे लोगों के खिलाफ चार हजार से ज्यादा मामले भी दर्ज किए गए हैं। सरमा सरकार की इस कार्रवाई के बीच एक महिला ने कथित तौर पर आत्महत्या करने की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि महिला को डर था कि अब पुलिस उसके पिता को भी गिरफ्तार करेगी जिन्होंने उसकी शादी तब कराई थी जब वो नाबालिग थी।

वहीं एक अन्य मामले में एक महिला ने पुलिस स्टेशन पर आकर धमकी दी कि अगर उनके पिता और पति को नहीं छोड़ा, जिन्हें पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था, तो वो आत्महत्या कर लेंगी।

उधर, धुबरी जिले के तमरहाट सैंकड़ों की संख्या में महिलाओं ने पुलिस स्टेशन का घेराव किया और बाद में हाईवे को भी बंद किया।

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा एक बार फिर अपने बयान की वजह से चर्चाओं में हैं। इस बार उनका ये बयान महिलाओं के मां बनने की उम्र को लेकर आया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि मां बनने के लिए 22 साल से 30 साल के बीच की उम्र सबसे सही होती है। उनका यह बयान सरकार के उस फैसले के बाद आया है जिसके तहत बाल विवाह और बच्चियों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न पर लगाम लगाने को लेकर जोर दिया गया है।

सीएम सरमा ने कहा कि आने वाले पांच से छह महीनों में ऐसे हजारों पतियों को गिरफ्तार किया जाएगा। जिन्होंने 14 साल से कम उम्र की लड़की से शादी की और बाद में उनके साथ संबंध बनाए। 14 साल से कम उम्र की लड़की के साथ शादी होने के बावजूद भी ऐसा करना अब अपराध है। कानून के हिसाब से लड़की की शादी की उम्र 18 साल या इससे ऊपर होना चाहिए। जिन्होंने इससे उम्र की लड़कियों से शादी की है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख