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लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 30 बच्‍चों की मौत के बाद प्रिंसिपल डॉ राजीव मिश्र ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रिंसिपल के इस्तीफे की खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन हम उन्हें पहले ही निलंबित कर चुके हैं और उनके खिलाफ जांच भी शुरू की गई है। महानिदेशक (चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण) को भेजे पत्र में प्रिंसिपल डा राजीव मिश्र ने कहा कि वह मेडिकल कालेज अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती 30 बच्चों की मौत के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उल्‍लेखनीय है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पांच दिनों में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत की ख़बर पर देश भर में गुस्सा है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की खबरों से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई तो फिर किस वजह से हुई।

नोएडा: राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया की सूची में डालने के बाद घबराये हजारों खरीददारों ने आज (शनिवार) जेपी ग्रुप के सेक्टर-128 स्थित दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। जब जेपी के सुरक्षाकर्मी ने खरीददारों को अंदर घुसने से रोका तो वे भड़क उठे और बैरीकेड एवं गेट तोड़कर अंदर घुस गये। खरीददारों का आरोप है कि जेपी पर बैंकों का आठ हजार 365 करोड़ रूपया बकाया है। जबकि खरीददार जेपी ग्रुप को अब तक 20 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा दे चुके हैं। उनकी मांग है कि बैंकों का पैसा चुकाने से पहले उनकी गाढ़ी कमाई उन्हें वापस करवायी जाये। बायर्स ने केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ भी नाराजगी जताई और मांग की कि सांसद, मंत्री और विधायक इस मामले में हस्तक्षेप करें। एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक की याचिका पर पिछले दिनों जेपी बिल्डर को दिवालिया कंपनी की सूची में डाल दिया था। जिसके बाद 32 हजार खरीददारों को चिंता सताने लगी कि उनके फ्लैट और प्लॉट उन्हें कैसे मिलेंगे। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी बिल्डर के कई बड़े प्रोजेक्ट हैं जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं।

लखनऊ: गोरखपुर हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मेरी संवेदना उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है। उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस से निपटना बड़ी चुनौती है। सीएम योगी ने कहा कि गोरखपुर हादसे से निपटने के लिए भारत सरकार मदद कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और स्वास्थ्य सचिव को गोरखपुर भेजा है। उन्होंने कहा, मैंने खुद मंत्रियों को वहां भेजा और पता करने का आदेश दिया था कि वह पता करें के बच्चों की मौत किस वजह से हुई है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन से मौत एक जघन्य कृत्य है और इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा कि ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने पर कंपनी की भूमिका की जांच चीफ सेक्रेटरी कर रहे हैं और वह एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, हर जगह के अलग-अलग आंकड़े हैं। सीएम ने आगे कहा, 'क्या ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से मौत हुई हैं? सही आंकड़ा क्या है? हमने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

गोरखपुर: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के चलते हुई 36 बच्चों की मौत के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल आके मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया है। शनिवार को स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन मेडिकल कॉलेज पहुंच थे। जिसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अस्पताल में बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। उन्होंने ये भी बताया कि अगस्त 2014 में 567, अगस्त 2015 में 558 और अगस्त 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई है। प्रेस कांफ्रेंस के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल आके मिश्रा को सस्पेंड कर दिया। लेकिन दावा किया गया कि आके मिश्रा ने नैतिकता के आधार पर पहले ही प्रिंसिपल के पद से इस्‍तीफा दे दिया था। गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले छह दिनों में 63 लोगों की मौत हो गई। जान गंवाने वालों में नवजात बच्चे भी शामिल हैं। आज सुबह भी एक बच्चे की मौत हो गई। ये बच्चा इंसेफेलाइटिस से पीड़ित था। यूपी सरकार ने इस मामले मेजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।

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