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नई दिल्ली/गोरखपुर: गोरखपुर में पिछले पांच दिनों में 63 बच्चों की दर्दनाक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जान गंवाने वाले बच्चों में 5 नवजात शिशु भी थे। हॉस्पिटल में होने वाली कुल मौतें 30 हैं। इन मौतों की वजह आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं बताई जा रही हो लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी ही कारण है। जबकि, यूपी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई। 9 तारीख की आधी रात से लेकर 10 तारीख की आधी रात को 23 मौतें हुईं जिनमें से 14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुई।जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं। यह भी हैरतअंगेज है कि 10 अगस्त की रात को ऑक्सीजन की सप्लाई खतरनाक रूप से कम हो गई। अस्पताल के सूत्र कहते हैं कि ऑक्सीजन की सप्लाई में गड़बड़ी होने से बच्चों की मौत हुई है। यह अस्पताल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में आता है। पिछली 9-10 तारीख को खुद मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल का दौरा किया था। उसके बाद भी इस तरह की लापरवाही सामने आई है। इस घटना पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।

हालांकि स्थानीय प्रशासन ने बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया था कि परसों यानी 10 अगस्त को 23 बच्चों और कल 7 बच्चों की मौत हुई है। ये मौतें आईसीयू में हुई हैं। सांसद कमलेश पासवान ने अस्पताल का दौरा किया। डॉक्टर ने बताया कि जापानी बुखार से 8 से 12 बच्चे रोजाना मरते हैं। मामला इसलिए भी ज्‍यादा गंभीर हो जाता है कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गृह जनपद में हुआ है। जिलाधिकारी रौतेला ने पहले बताया था कि पिछले दो दिन में हुई मौतौं का ब्यौरा देते हुए बताया कि 'एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस' वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मृत्यु हुई। उन्होंने बताया कि गुरुवार मध्यरात्रि से अब तक नियो नेटल वार्ड में तीन, एईएस वार्ड में दो और जनरल वार्ड में दो बच्चों की मौत हुई। शेष 23 मौतें नौ अगस्त की मध्यरात्रि से दस अगस्त मध्यरात्रि के बीच हुईं। इस सवाल पर कि क्या ये मौतें आक्सीजन की कमी की वजह से हुईं, रौतेला ने कहा कि उन्हें मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। लखनऊ में राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित इन खबरों को 'भ्रामक' बताया कि ऑक्सीजन की कमी से ये मौतें हुई हैं। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया, 'गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है।' उन्होंने कहा, 'ऑक्सीजन की कमी से पिछले कुछ घंटों में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु हो जाने के संबंध में कतिपय समाचार चैनलों में प्रसारित समाचार भ्रामक हैं।' प्रवक्ता ने बताया कि इस समय गोरखपुर के जिलाधिकारी मेडिकल कॉलेज में मौजूद हैं और स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि बच्चों की मौत अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार इस बात का पता लगाने के लिए जांच समिति का गठन करेगी कि कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हुई है। अगर कोई दोषी पाया गया तो उसे जवाबदेह बनाया जाएगा। सात अगस्त से अब तक हुई मौतों का ब्यौरा देते हुए सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस अवधि में 60 बच्चों की विभिन्न रोगों से मृत्यु हुई है। सिंह ने भी कहा कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई हैं। रौतेला ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में लिक्विड आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पड़ोस के संत कबीर नगर जिले से वैकल्पिक व्यवस्था की गयी थी। उन्होंने बताया कि इस समय 50 ऑक्सीजन सिलिंडर हैं और जल्द ही सौ से डेढ़ सौ और सिलिण्डर पहुंच रहे हैं। इस सवाल पर कि क्या ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली फर्म ने लगभग 70 लाख रुपये बकाये का भुगतान ना किये जाने पर आपूर्ति रोक दी थी, उन्होंने कहा कि अस्पताल को ऑक्सीजन आपूर्ति करने के लिए कंपनी को आंशिक भुगतान कर दिया गया था। रौतेला ने बताया कि मौतों की वजह का पता लगाया जा रहा है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि असल वजह जानने के लिए घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने का आदेश दिया गया है। रिपोर्ट शनिवार शाम तक आने की उम्मीद है। यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर दौरे के दो दिन बाद घटी है। प्रदेश की बागडोर संभालने के साथ ही योगी चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्रों की स्थिति सुधारने पर जोर देते आये हैं। अप्रैल में योगी सरकार ने ऐलान किया था कि उसने राज्य में छह एम्स और 25 नये मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए काम चालू कर दिया है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में यह वायदा किया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे राज्य सरकार की संवेदनहीनता का पता चलता है। उन्होंने कहा कि इन मौतों के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। राज बब्बर ने कहा कि गुरुवार को स्वयं मुख्यमंत्री गोरखपुर सहित महराजगंज जनपद के दौरे पर थे। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की कमियों के बारे में उन्हें बखूबी जानकारी है। 'जब पूरे पूर्वांचल के मरीज विशेष तौर से इंसेफेलाइटिस से पीड़ि‍त बच्चों का इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा था और इंसेफेलाइटिस से ग्रसित बच्चों में इजाफा ऐसे समय में ही होता है तो जानकारी होने के बावजूद ऑक्सीजन की कमी कैसे हो सकती है?' उन्होंने मांग की कि इस भयानक त्रासदी के लिए जिम्मेदार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को बीस-बीस लाख रुपये आर्थिक मुआवजा प्रदान करने की मांग की। बब्बर ने मुख्यमंत्री से मांग की कि अविलम्ब गोरखपुर मेडिकल कॉलेज सहित उत्तर प्रदेश के तमाम अस्पतालों की रिपोर्ट मंगाकर अस्पतालों की जरूरत की चीजों को उपलब्ध कराते हुए उत्तर प्रदेश की जनता को ऐसी त्रासदी की पुनरावृत्ति से रोकने हेतु प्रभावी कदम उठाये जाएं ताकि निर्दोष जनता की जान बचायी जा सके। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस प्रकरण में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और मृतक बच्चों के परिजनों को बीस बीस लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए। योगी ने घातक इनसेफेलाइटिस रोग के उन्मूलन के लिए एक अभियान की शुरुआत की थी। इस रोग से उत्तर प्रदेश में हर साल सैकड़ों बच्चों की जान जाती है। उन्होंने अभियान शुरू करते हुए कहा था कि हमने पोलियो और मलेरिया जैसे रोगों का उन्मूलन किया है। अब इनसेफे​लाइटिस का उन्मूलन हमारा लक्ष्य है। योगी ने अभियान की सफलता के लिए जागरूकता और जनता की सहभागिता पर जोर दिया। अभियान राज्य के सबसे बुरी तरह प्रभावित पूर्वी क्षेत्र के 38 जिलों में शुरू किया गया है। क्षेत्र में पिछले चार दशक में इस रोग की वजह से लगभग 40 हजार बच्चों की मौत हो गयी।

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