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नई दिल्ली: दिल्ली से सटे हुए ग्रेटर नोएडा में दो इमारत गिर गई हैं। इन इमारतों में कई लोग रहते हैं, ऐसे में कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। बचाव कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल की टीम को बुलाया गया। एनडीआरएफ की दो टीमें घटनास्थल पर पहुंची हैं। एनडीआरएफ की 40 सदस्यी टीम वहीं पहंच चुकी है। डॉग स्क्वॉेड भी सर्च कर रहे हैं। हादसे की जानकारी मिलने बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई हैं। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भी पहुंची गई है। राहत कार्य शुरु हो चुका है।

आस पास के लोग के मुताबिक इन इमारतों में करीब 50 लोग काम करते हैं। इनके मलबे में करीब 20 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। पुलिस को मलबे में दबी हुई कई शव दिख रहे हैं। ढहने वाले इमारत में सात परिवार रह रहे थे। पहले सात मंजिल की इमारत ढही जो कि एक निर्माणाधीन इमारत पर जा गिरी। इस इमारत के हर फ्लोर पर पांच फ्लैट थे। यह जानकारी पड़ोस में रहने वाले लोगों ने दी। घटना की सूचना मिलने पर दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंच गई थी। मुख्य दमकल अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि इमारत में करीब दर्जनभर लोग रह रहे थे। दमकल विभाग की गाड़ियां मलबा हटाने का कार्य कर रही है।

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो प्रदेश में अग्रिम जमानत के प्रावधान का बिल लाने की तैयारी कर रही है। वहीं उत्तराखंड सरकार ने इस बारे में अपना रुख साफ करने को 2 हफ़्ते की मोहलत मांगी है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी कि 2011 में राष्ट्रपति ने मायावती सरकार के इस बिल को तकनीकी खामियों की वजह से वापस लौटाया था। तब से अब तक उसे विधानसभा मे दोबारा पेश कर तकनीकी खामियां दूर करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गई?

यूपी और उत्तराखंड में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। याचिका में इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है। दरअसल संजीव भटनागर की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम ज़मानत के प्रावधान को बहाल करने की मांग की गई है। उन्होंने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत के प्रावधान को यह कहते हुए बहाल करने की मांग की है कि इसका नहीं होना राज्य की जनता के लिए 'भेदभावपूर्ण' है। उत्तराखंड देश का एक अन्य राज्य है जहां अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है।

लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने 50 माइक्रोन से पतली पॉलिथीन पर रोक के लिए उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) (संशोधन) अध्यादेश 2018 को मंजूरी दे दी। इसके साथ प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 50 माइक्रोन से पतली पॉलिथीन बनाना और बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित हो गया है। इसके बाद भी इसे बनाते या बेचते हुए कोई पाया गया तो उसे अधिकतम एक लाख रुपये जुर्माना व एक साल की सजा हो सकती है।

ये होंगे दायरे में

राज्य सरकार ने प्रदेश में 50 माइक्रोन से पतली पॉलिथीन पर कड़ाई के साथ प्रतिबंध लगाने के लिए उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) अधिनियम, 2000 में कई संशोधन करते हुए उसे और कठोर व प्रभावी बनाया गया है। जैविक रूप से नष्ट न होने वाले 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक के थैले, पॉलिथीन, नायलोन, पीबीसी, पॉलीप्रोपाइलिंग, पालीस्ट्रिन व थर्माकोल के प्रयोग तथा उनके पुनर्निमाण, विक्रय, वितरण, पैकेजिंग, भंडारण, परिवहन, आयात व निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

मिर्जापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के पूर्वांचल के दौरे पर हैं। मिर्जापुर पहुंचकर उन्होंने यहां वाणसागर परियोजना उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ''जो किसानों के लिए आंसू बहाते हैं, उनसे आपको पूछना चाहिए कि आपने इस तरह की सिंचाई परियोजनाओं को पहले क्यों पूरा नहीं किया। उन्हें किसानों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने आपके करोड़ों रुपए बर्बाद किए।'' पीएम मोदी ने लोगों से पानी वचाने का वचन भी मांगा। उन्होंने कहा, अगर आपने पानी की एक एक बूंद बचाई तो ये पानी आपके लिए लंबे समय तक काम आएगा।

पीएम मोदी ने कहा, ''जब से यूपी में याेगी सरकार आई है, विकास की गति तेज हुई है। पूर्व की सरकार ने यहां के विकास में सिर्फ रोड़े अटकाए हैं। इस वाणसागर परियाेजना का काम 40 साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन इतने दिनों में कुछ नहीं हुआ। पूर्व की सरकारों ने दो दशक पीछे इस इलाके को धकेल दिया है। वर्षों पहले जो सुविधा आपको मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली। उस समय अगर ये परियोजना पूरी होती तो 300 करोड़ की योजना 300 से 400 करोड़ में पूरी हो जाती। अब आप बताइए कि उन्होंने आपके पैसे का नुकसान किया कि नहीं।''

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