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वाराणसी: महाशिवरात्रि इस बार की इसलिए खास है, क्योंकि यह महाकुंभ की महाशिवरात्रि है। जिसको लेकर हर बार से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आने वाली है और नए रिकॉर्ड को बनाने वाली है तो वहीं 26 फरवरी को महाशिवरात्रि को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सभी तरह के रुद्राभिषेक, आरती, स्पर्श दर्शन, विशेष दर्शन और प्रोटोकॉल को निरस्त कर दिया है।

महाकुंभ की महाशिवरात्रि के बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष की महाशिवरात्रि की विशेषता यह है कि यह महाकुंभ की शिवरात्रि है। पिछले वर्षों में जहां शिवरात्रि के दिन जितने श्रद्धालु आते थे, उससे कहीं ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ के पलट प्रवाह की वजह से रोज आ रहे हैं।

महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में व्यवस्थाओं के बारे में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने कहा, ''एक सिरे से दूसरे सिरे तक रेलिंग होगी, सभी तरह के प्रोटोकॉल स्थगित रहेंगे। कोई वीआईपी और सुगम दर्शन नहीं होगा।

उन्होंने कहा, जनता के लिए रेलिंग लगाई गई है। हमने अपनी क्षमता के अनुसार बेहतरीन इंतजाम किए हैं। पिछले साल महाशिवरात्रि को लेकर एक नई परंपरा शुरू की गई थी। एक बार सभी प्रधान महादेव पर रुद्राभिषेक करने के बाद उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे हमारे महाशिवरात्रि के पर्व और पूरे साल के बाकी दिनों को किसी भी तरह की प्रतिकूल परिस्थिति से बचाएं और सनातन जगत का कल्याण करें। इस साल भी यह महाशिवरात्रि से पहले मुहूर्त देखने के बाद किया जाएगा। शिवरात्रि का मानक प्रोटोकॉल यह है कि मंगला आरती एक दिन पहले शुरू होती है और अगले दिन काल रात्रि शिवरात्रि होती है। लगातार बत्तीस घंटे महादेव लोगों को दर्शन देते हैं।"

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