नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो प्रदेश में अग्रिम जमानत के प्रावधान का बिल लाने की तैयारी कर रही है। वहीं उत्तराखंड सरकार ने इस बारे में अपना रुख साफ करने को 2 हफ़्ते की मोहलत मांगी है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी कि 2011 में राष्ट्रपति ने मायावती सरकार के इस बिल को तकनीकी खामियों की वजह से वापस लौटाया था। तब से अब तक उसे विधानसभा मे दोबारा पेश कर तकनीकी खामियां दूर करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
यूपी और उत्तराखंड में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। याचिका में इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है। दरअसल संजीव भटनागर की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम ज़मानत के प्रावधान को बहाल करने की मांग की गई है। उन्होंने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत के प्रावधान को यह कहते हुए बहाल करने की मांग की है कि इसका नहीं होना राज्य की जनता के लिए 'भेदभावपूर्ण' है। उत्तराखंड देश का एक अन्य राज्य है जहां अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ने सितंबर 2011 में संशोधन को वापस भेज दिया और उसके बाद राज्य सरकार ने मामले में कुछ नहीं किया। राज्य सरकार ने 2010 में अग्रिम जमानत से संबंधित सीआरपीसी की धारा 438 को बहाल करने के लिए कानून में संशोधन किया थ।. अगस्त 2010 में राज्य विधानसभा ने संशोधन विधेयक को पारित कर दिया था।