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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चिन्मयानंद को पीड़ित छात्रा के बयान की सत्यापित प्रति मुहैया कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने सात नवंबर को निचली अदालत को आदेश दिया था कि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री को महिला के बयान की प्रति मुहैया कराए जिसमें उसने चिन्मयानंद पर दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। उच्च न्यायालय के आदेश को छात्रा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया।

पीठ ने नोटिस का जवाब नौ दिसंबर तक देने का आदेश देते हुए कहा कि मामला आगे के लिए विचाराधीन है और इसलिए तबतक आदेश का क्रियान्वयन स्थगित रहेगा। छात्रा की ओर से पेश वकील शोभा ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान की प्रमाणित प्रति चिन्मयानंद को देने का आदेश देकर उच्च न्यायालय ने गलती की है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित कर छात्रा के आरोपों की जांच करने को कहा था।

21 सितंबर को विशेष जांच टीम ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था। छात्रा पर भी फिरौती का मामला दर्ज किया गया है।

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