गाजियाबाद: गाजियाबाद पुलिस की कोशिश उस वक्त रंग लाती दिखी जब भ्रष्टाचार के आरोप में एक माह से अधिक समय से फरार चल रही इंस्पेक्टर लक्ष्मी चौहान ने गुरुवार को मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने गुरुवार को ही इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान समेत सभी सातों पुलिस कर्मियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। इसके साथ ही उनके मकानों पर कुर्की नोटिस भी चस्पा कर दिए गए थे।
जानकारी के अनुसार, गिरफ्तारी से बचने के लिए किसी शातिर अपराधी की तरह पुलिस के साथ तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाला खेल खेल रही फरार महिला इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान और सात अन्य पुलिसकर्मियों पर गाजियाबाद पुलिस द्वारा शिकंजा कसे जाने के चंद घंटों के अंदर ही लक्ष्मी चौहान ने आत्मसमर्पण कर दिया। ज्ञात हो कि बदमाशों से लूट की बरामद रकम में से 70 लाख रुपये डकारने के आरोप में एक माह से अधिक समय से फरार इंस्पेक्टर लक्ष्मी चौहान पुलिस की गिरफ्त से दूर थीं।
गिरफ्तारी से बचने के लिए लक्ष्मी ने बीते दिनों पहले भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट मेरठ और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी। हालांकि अभी तक हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई शुरू नहीं की है। इन सभी आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
यह है मामला
साहिबाबाद साइट-4 औद्योगिक क्षेत्र स्थित सीएमएस इंफो सिस्टम कंपनी एटीएम में कैश डालने का काम करती है। कंपनी ने 22 अप्रैल को लिंक रोड थाने में कंपनी के कैश कस्टोडियन एजेंट राजीव सचान के खिलाफ करीब 72.50 लाख रुपये गबन का मामला दर्ज कराया था। जांच में यह मामला साढ़े तीन करोड़ रुपये के गबन का निकला। इस मामले में पुलिस ने 24 सितंबर की रात राजीव सचान को साथी आमिर के साथ गिरफ्तार कर उनसे 1.15 करोड़ रुपये बरामद कर लिए। लेकिन फर्द में महज 45 लाख 81 हजार 500 रुपये की बरामदगी ही दिखाई गई।