लखनऊ: विधानसभा की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए भविष्य के संघर्ष या यूं कहें चिंता के संकेत दे गए हैं। भाजपा सात सीटें जीतने में कामयाब जरूर रही लेकिन उसे कई सीटों पर जीत के लिए संघर्ष करना पड़ा। वहीं तीन सीटें जीतकर विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी सपा के लिए परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। वहीं परंपरा के विपरित उपचुनाव लड़ी बसपा के लिए अपने गढ़ कहे जाने वाले अंबेडकरनगर के जलालपुर में हार बड़े झटके के रूप में सामने आई है।
भाजपा को करना पड़ा कई सीटों पर कड़ा संघर्ष
11 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास नौ सीटें थीं जबकि रामपुर सपा के खाते में और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट बसपा की झोली में थी। भाजपा ने इस उपचुनाव में सात सीटों पर जीत हासिल जरूर की है लेकिन परिणाम उसके लिए सहज नहीं कहे जा सकते। भाजपा को अपने कब्जे वाली घोसी में संघर्ष करना पड़ा और भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार राजभर मात्र 1734 मतों से जीत पाए जबकि पिछली बार यहां फागू चौहान 7 हजार मतों के अंतर से जीते थे।
राजभर जाति का प्रत्याशी होने के कारण चौहान जाति के मत भाजपा के पाले में वैसे उत्साह के साथ नहीं गए जैसे वर्ष 2017 में गए थे। कुछ ऐसा ही संघर्ष में भाजपा ने गंगोह सीट को कांग्रेस से बचाने में किया। पिछली बार वर्ष 2017 में भाजपा जीती तो वहां कांग्रेस से जीत का अंतर 38028 था लेकिन इस बार जीत का अंतर घट कर महज़ 5400 के करीब रह गया।
सपा बन रही भाजपा के लिए चुनौती
बाराबंकी की जैदपुर सुरक्षित सीट को सपा ने भजापा से छीन कर बड़ी चुनौती तो पेश की है, वहीं बसपा से उसके गढ़ अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट जीत कर साफ कर दिया है कि भाजपा को प्रदेश में चुनौती देने में केवल वही सक्षम है। जैदपुर सीट पर कुर्मी वोटों का असर देखने को मिला। भाजपा के वोटबैंक माने जाने वाली कुर्मी जाति के प्रमुख बेनी प्रसाद वर्मा का सपा के पाले में खड़ा होना लाभकारी माना जा रहा है। वहीं पार्टी संगठन में प्रत्याशी चयन को लेकर भी असंतोष था।
पार्टी के लिए निसंदेह इस सीट पर जीत उत्साह का सबब है लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार समाजवादी पार्टी 11 में से पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही है। वर्ष 2017 के चुनावों में सपा इन 11 सीटों में से सिर्फ दो पर ही नंबर दो के स्थान पर थी।