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सूरत: भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पार्टी आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना चाहती है और गुजरात में सामान्य श्रेणी के लिए ईबीसी आरक्षण इस सिलसिले में पहला कदम है। शहर में मेगा रोड शो करने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए हार्दिक ने कहा कि वह ओबीसी कोटा के तहत पाटीदार-पटेल समुदाय के लिए आरक्षण चाहते हैं न कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की श्रेणी के तहत। उन्होंने कहा, ‘ईबीसी कोटा के तहत आरक्षण देने का क्या मतलब है जबकि संविधान में इसका कहीं भी जिक्र नहीं है। भाजपा कई राज्यों में सत्ता में है तो उन्होंने इसे गुजरात से शुरू क्यों किया। यह स्पष्ट है कि भाजपा वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना चाहती है।’

सूरत: गुजरात हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल नौ महीने बाद आज (शुक्रवार) लाजपोर जेल से बाहर आए और आंदोलन जारी रखने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि उन्हें ‘‘56 इंच का सीना नहीं, बल्कि अपने समुदाय के लिए अधिकार चाहिए।’’ जेल से बाहर आकर हार्दिक ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने ओबीसी कोटा के तहत अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ‘‘56 इंच का सीना’’ संबंधी टिप्पणी की तरफ इशारा करते हुए हार्दिक ने कहा, ‘‘मैं यह कहना चाहता हूं कि मुझे उंचाई, वजन या 56 इंच का सीना नहीं चाहिए। मुझे तो अपने समुदाय के लिए अधिकार चाहिए।’’ हार्दिक ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में हमारा आंदोलन जारी रहेगा। पटेल समुदाय के लिए ओबीसी दर्जे की हमारी मांग कायम है। आने वाले दिनों में हमारे काम करने के तरीके में बदलाव आएगा लेकिन हमारे तेवर ऐसे ही बने रहेंगे।’’ पिछले हफ्ते हाई कोर्ट से राजद्रोह और विसनगर विधायक के दफ्तर में हिंसा से संबंधित दोनों मामलों में जमानत मिलने के बाद 22 वर्षीय पटेल की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। राजद्रोह के मामले में जमानत देते हुए अदालत ने यह शर्त लगाई थी कि अगले छह महीनों तक हार्दिक को गुजरात से बाहर रहना होगा। अदालत के आदेश के मुताबिक हार्दिक को जेल से रिहाई के 48 घंटों के भीतर गुजरात छोड़ना पड़ेगा। सूरत में अपने समर्थकों के साथ रोड शो शुरू करने से पहले पत्रकारों से बातचीत में हार्दिक ने सभी पार्टियों को इस आंदोलन का राजनीतिक लाभ नहीं उठाने की चेतावनी दी।

अहमदाबाद: गुजरात पुलिस ने वर्ष 2002 में हुए गोधराकांड के मुख्य आरोपी इमरान अहमद भाटुक उर्फ शेरू को महाराष्ट्र के मालेगांव से गिरफ्तार कर लिया। इमरान 14 साल से फरार था। पुलिस ने उसे मंगलवार को मालेगांव से गिरफ्तार किया और बुधवार को अहमदाबाद ले आई। गुजरात पुलिस बीते एक साल में इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि करीब आधा दर्जन आरोपी अब भी फरार हैं। अहमदाबाद में अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त जेके भट्ट ने कहा, इमरान अहमद भाटुक उर्फ शेरू गोधराकांड का मुख्य आरोपी है। उसे मालेगांव से पकड़ा गया है। वह वहां बालू के अवैध उत्खनन के धंधे से जुड़ा था। इससे पहले, उसने वहां कुछ दिन रिक्शा भी चलाया। गोधराकांड में 37 वर्षीय इमरान का नाम दूसरी चार्जशीट में मुख्य आरोपी के तौर पर शामिल किया गया था। वह गोधरा में मुस्लिम सोसायटी में रहता था। उसने कुछ अन्य आरोपियों के साथ मिलकर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में जाकर पेट्रोल छिड़का और बाहर आकर उसमें आग लगा दी। घटना के बाद इमरान भागकर महाराष्ट्र के धूलिया चला गया और वहां उसने शादी कर ली। छह साल वहां रहने के बाद इमरान मालेगांव चला गया। भट्ट ने कहा कि इमरान को गिरफ्तार करने से पहले अपराध शाखा के अधिकारी पिछले छह महीने से जानकारी एकत्रित कर रहे थे। टीम दो महीने में सात बार मालेगांव गई। वहां, लोग उसे इमरान शेरू के नाम से जानते थे। वह मालेगांव में मोहनबाबा नगर में मुस्लिम बहुल झुग्गी बस्ती में रह रहा था। पुख्ता जानकारी एकत्रित होने के बाद उसे गत मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में करीब आधा दर्जन आरोपी अभी फरार हैं, जिनमें सलीम पानवाला, रफीक भाटुक और शौकत लालू प्रमुख हैं।

अहमदाबाद: पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो और उन्होंने कहा कि ‘सत्यमेव जयते’ यानी सत्य की ही जीत होती है। उन्हें तीन मामले में जमानत मिल गई है और नौ महीने के बाद वह जेल से रिहा होने वाले हैं। गुजरात सरकार को लिखे पत्र में हार्दिक ने कहा, ‘सत्यमेव जयते। यह मुहावरा भगवान राम और महात्मा गांधी का मार्गदर्शक रहा और आज के युवकों के लिए भी है। मुझे भारत की न्यायपालिका में पूरा विश्वास है। मुझे विश्वास है कि निर्दोष और गरीब को न्याय मिलता है। मैं दोषी नहीं था तब भी मुझे जेल में ठूंस दिया गया।’ देशद्रोह के दो मामलों में शुक्रवार को अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद 22 वर्षीय नेता ने पत्र में लिखा है, ‘मैं आपको सच्चाई बताता हूं- केवल बकरा ही बलि पर चढ़ता है न कि शेर।’ उन्होंने लिखा है, ‘मैंने किसी भी रूप में हिंसा का समर्थन नहीं किया। अब तक मैंने कुछ नहीं किया है जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो, न ही भविष्य में ऐसा करने का मेरा इरादा है। मैं अहिंसा के माध्यम से राज्य की आवाज बनना चाहता हूं और गरीबों, किसानों, युवकों और महिलाओं के उत्थान के लिए काम करना चाहता हूं।’

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