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अहमदाबाद: हार्दिक पटेल के परिवार को नजरबंद कर दिया गया और समुदाय की सात महिलाओं को नारेबाजी करने और उसकी तुरंत रिहाई की मांग करने के लिए गुरुवार को हिरासत में ले लिया गया। यह कार्रवाई तब हुई जब गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल जेल में बंद नेता के गृह नगर वीरमगाम में एक सभा को संबोधित कर रही थीं। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम खत्म होने के बाद महिलाओं को छोड़ दिया गया और हार्दिक के परिवार को रिहा कर दिया गया। वीरमगाम थाने के प्रभारी विश्वराज सिंह जडेजा ने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे से पहले एहतियातन हार्दिक के परिवार को अपराह्न कार्यक्रम खत्म होने तक नजरबंद रखा गया। जडेजा ने कहा, 'शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जब भाषण दे रही थीं तो नारेबाजी करने के लिए हमने सात महिलाओं को हिरासत में ले लिया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद हमने उन्हें रिहा कर दिया।' उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री के दौरे के समय हार्दिक के परिवार को कोई गड़बड़ी पैदा करने से रोकने के लिए हमने उनके पिता (भरतभाई), मां (उषाबेन) और बहन (मोनिका) को नजरबंदर कर दिया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद हमने उन्हें रिहा कर दिया।' बहरहाल, उनके भाषण के दौरान महिलाओं को नारेबाजी करते देख आनंदीबेन ने कहा कि आरक्षण से समस्या का समाधान नहीं होगा, क्योंकि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।
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अहमदाबाद: गुजरात में 2002 में गुलबर्ग सोसायटी में हुए नरसंहार मामले की सुनवाई कर रही विशेष एसआईटी अदालत संभवत: सोमवार को मामले में सजा सुनाने की तारीख तय करेगी। इस नरसंहार में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की हत्या के मामले में 24 दोषियों को सजा सुनायी जानी है। अभियोजन पक्ष की ओर से आज अंतिम दलीलों के बाद सजा पर बहस खत्म होने के साथ ही विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पी.बी. देसाई ने मामले की सुनवाई 13 जून तक के लिए स्थगित कर दी। उम्मीद की जा रही है कि 13 जून को वह सजा सुनाने की तारीख तय करेंगे। बहस के दौरान विशेष लोक अभियोजक और एसआईटी के वकील आर. सी. कोडेकर ने गुलबर्ग कांड में जीवित बचे लोगों और मृतकों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे से संबंधित विभिन्न सरकारी प्रस्ताव अदालत को सौंपे। हालांकि अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि इस तरह के मामलों में मुआवजा तय करने के लिए कोई स्पष्ट फार्मूला नहीं है। न्यायाधीश ने सवाल किया, ‘मुआवजा किसे? किस आधार पर? किस हद तक? आप जितना मांग कर रहे हैं यह उतना आसान नहीं है। इस मामले को हम कितना लंबा खीचेंगे?’ कड़ी सजा की मांग करते हुए कोडेकर ने अदालत को बताया कि यह मामला ‘दुर्लभतम से दुर्लभ’ की श्रेणी में आता है और सजा द्वारा यह उदाहरण पेश किया जाना चाहिए कि समाज में ऐसी करतूतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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मेहसाणा: आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने उनका समर्थन करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हालिया बयान को ‘राजनैतिक’ करार दिया और कहा कि इस तरह के बयान नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे पाटीदार समुदाय के लिए बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं डालेंगे। हार्दिक ने कहा, ‘‘केजरीवाल का समर्थन राजनैतिक है। यह पाटीदार समुदाय पर कोई अंतर नहीं लाने जा रहा है। मैं यहां समुदाय की सेवा करने के लिए हूं---मेरी जमानत पर सुनवाई :उच्च न्यायालय में: नौ जून को है। भगवान की कृपा हो कि मुझे जमानत मिले ताकि मैं समुदाय के लिए काम कर सकूं।’’ 22 वर्षीय हार्दिक ने संवाददाताओं से उस वक्त यह बात कही जब उसे विसनगर में एक अदालत के समक्ष पेश किया जा रहा था। हार्दिक के खिलाफ यह मामला पिछले साल पाटीदार आंदोलन के दौरान दर्ज किया गया था। हार्दिक फिलहाल सूरत में एक जेल में बंद है और उसकी जमानत याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है।
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अहमदाबाद (गुजरात): यहाँ 2002 में हुए दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में 69 लोगों की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 24 लोगों को विशेष अदालत 9 जून को सजा सुनाएगी। इसमें से 11 लोगों को सीधी तौर पर हत्या का दोषी माना गया है उन्हें फांसी की सजा देने की मांग की गई है। गौरतलब हो कि 14 साल बाद आए इस फैसले में 36 लोगों को बरी कर दिया गया था। न्यायाधीश पीबी देसाई ने 24 लोगों में से 11 को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया जबकि विहिप नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य को अपेक्षाकृत मामूली आरोप में दोषी पाया। अदालत ने भाजपा पार्षद बिपिन पटेल, पूर्व कांग्रेस पार्षद मेघ सिंह चौधरी और इलाके के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक केजी एरडा को दोषमुक्त करार दिया। सभी आरोपियों पर लगाई गई आईपीसी की धारा 120-बी को हटाते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में आपराधिक साजिश का कोई सबूत नहीं है। साजिश के आरोपों को हटाने से दोषियों की जेल की सजा की अवधि कम होगी। इस मामले में 66 लोगों को आरोपी बनाया गया था। सुनवाई के दौरान 6 व्यक्तियों की मौत हो गई। नौ आरोपी अभी जेल में हैं जबकि अन्य जमानत पर बाहर हैं।
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