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अहमदाबाद: उना में दलितों पर कथित गौरक्षकों द्वारा किए गए अत्याचार के विरोध में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन करने के बाद दलितों ने अहमदाबाद में रविवार को महासम्मेलन किया। इस सम्मेलन के दौरान दलितों ने शपथ ली कि अब वो मृत पशु नहीं उठाएंगे, साथ ही जातिगत तौर पर थोपे जा रहे सफाई जैसे काम नहीं करेंगे। इस दौरान ये भी तय किया गया कि अपने अधिकारों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान दलित युवाओं पर हुए केसों के विरोध में आंदोलन और तेज किया जाएगा। दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि कानूनी तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के दौरान जिन गरीब दलित युवकों के खिलाफ फर्जी केस दायर किए गए हैं, वो तत्काल हटाए जाएं, वरना इससे भी बड़ी तादाद में लोग अहमदाबाद की सड़कों पर उतरेंगे। दूसरी ओर विरोध प्रदर्शनों के दौरान जहर पीने वाले एक युवक की अहमदाबाद सिविल अस्पताल में मौत हो गई. उना की घटना के पीड़ितों के परिजन भी इस रैली में शामिल हुए। उनका आक्रोश भी उनके भाषणों में साफ झलक रहा था। पीड़ितों के भाई जीतू सरवैया ने कहा कि जब घटना हुई तो मुझे भी बहुत दुख हुआ और गुस्सा भी आया। लगा कि मैं भी हथियार लेकर जाऊं और उन पर हमला कर दूं, लेकिन आज ये देखकर संतोष है कि मेरे चाचा और भाइयों पर जो अत्याचार हुआ, उसने पूरे दलित समाज को अपने पर हो रहे अत्याचार को लेकर एकजुट कर दिया है। इसका कितना राजनैतिक नफा-नुकसान होगा, ये तो समय बताएगा, लेकिन आगे भी दलित आंदोलन चलते रहने के आसार हैं।

फिलहाल ये तय किया गया है कि 5 अगस्त को पदयात्रा शुरू करके 15 अगस्त को उना में दलित स्वतंत्रता दिवस मनाया जाए। गुजरात सरकार के लिए ये चिंता का विषय है, क्योंकि पिछले साल अगस्त से ही अलग-अलग आंदोलन चलता रहा है। पहले पाटीदार आंदोलन फिर ओबीसी आंदोलन और अब अपने अधिकारों को लेकर दलित सड़कों पर उतरे हैं, जो लगातार सरकार की चिंता बढ़ा रही है।

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