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चेन्नई: तमिलनाडु सरकार अम्मा श्रृंखला के तहत एक और कदम उठाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में 500 अम्मा जिम स्थापित करेगी और इतनी ही संख्या में अम्मा पार्क विकसित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री जे जयललिता ने विधानसभा में अपनी ओर से दिए एक बयान में कहा कि ग्रामीण इलाकों में युवकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए 50 करोड़ रुपए की लागत से 500 अम्मा जिम स्थापित किए जाएंगे। हर एक जिम पर 10 लाख रुपए की लागत आएगी। उन्होंने ग्राम पंचायतों में 500 अम्मा पार्क विकसित किए जाने की भी घोषणा की। इन पार्कों में बच्चों के लिए खेल के उपकरण, शौचालय, सीमेंट की बेंच, टहलने के लिए रास्ता सहित विभिन्न प्रकार की सुविधाएं होंगी। इन पार्कों पर कुल 100 करोड़ का खर्च आएगा। मुख्यमंत्री ने कई अन्य पहलों की भी घोषणाएं कीं। इनमें सड़कों पर पारंपरिक बल्बों के स्थान पर एलईडी बल्ब लगाया जाना भी शामिल है ताकि बिजली बिल में 35 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सके। खुले में शौच को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए कदम उठाए जाने का जिक्र भी बयान में किया गया है। उन्होंने कहा कि नगरपालिकाएं और नगर निगम अपनी आय का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा स्ट्रीट लाइट के लिए बिजली शुल्कों में खर्च करते हैं। उन रोशनी को एलईडी में बदला जाएगा ताकि बिजली बिलों में कमी आ सके। पहले चरण में 10 नगर निगमों ओर 37 नगरपालिकाओं में एलईडी लगाए जाएंगे।

चेन्नई:अन्नाद्रमुक से निष्किासित राज्यसभा सांसद एम शशिकला पुष्पा ने आज (सोमवार) कहा कि वह उच्च सदन से इस्तीफा नहीं देंगी। शशिकला पर उनके दो घरेलू सहायकों ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कर रखा है। शशिकला ने सिंगापुर से यहां लौटने के बाद संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ राज्यसभा से मेरे इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता । ’’ शशिकला को इस माह की शुरूआत में ही अन्नाद्रमुक से निष्कासित किया गया था। शशिकला ने कहा कि वह खुद पर लगे अदालत के साथ धोखाधड़ी करने के आरोपों पर सफाई देने के लिए मद्रास अदालत की मदुरै पीठ के समक्ष पेश होंगी। साथ ही तूतूकुड़ी पुलिस के उनके और उनके परिवार वालों के खिलाफ दो घरेलू सहायकों के साथ र्दुव्‍यवहार और यौन उत्पीड़न करने के मामले में भी उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी है। अदालत ने सांसद को आज उसके समक्ष पेश होने और यह स्पष्ट करने को कहा है कि कैसे उन्होंेने 17 अगस्त को मुदैर में एक याचिका पर हस्ताक्षर कर अपने वकील को अग्रिम जमानत के लिए उनकी दलील पेश करने का अधिकार दे दिया जबकि पुलिस ने दावा किया है कि इस माह की शुरूआत में जबसे उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, उन्होंने तमिल नाडु में कदम भी नहीं रखा है।

नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद शशिकला पुष्पा के खिलाफ उनके दो घरेलू सहायकों द्वारा दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में उच्चतम न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर छह हफ्ते की रोक लगा दी है। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाय चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा है कि उच्च न्यायालय निष्कासित अन्नाद्रमुक नेता की अग्रिम जमानत याचिका पर जल्द फैसला ले। न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिका पर शीर्ष अदालत के आदेश से अप्रभावित रहते हुए फैसला लेगा। पुष्पा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उनकी मुवक्किल फरार नहीं होने जा रही। उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा सदस्य हैं और वकालतनामे में किसी तकनीकी समस्या के चलते उच्च न्यायालय ने उन्हें उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। लूथरा ने अंदेशा जताया कि हो सकता है कि तमिलनाडु में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए। इससे पहले 11 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से कहा था कि पुष्पा, उनके पति और बेटे के खिलाफ 22 अगस्त तक वह कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से भी कहा कि तब तक किसी राहत के लिये वे तमिलनाडु में किसी उपयुक्त अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि अदालत ने मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी कोई भी आदेश नहीं दिया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तमिलनाडु की जयललिता सरकार को फटकार लगाई है। तमिलनाडु में राजनीतिक विरोधियों पर मानहानि केस दर्ज कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री जयललिता को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आप (तमिलनाडु सरकार) पब्लिक फिगर हैं इसलिए आपको आलोचना सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे मामलों में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने की बजाय आमने-सामने की लड़ाई लड़नी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोधियों की आवाज को आपराधिक अवमानना के जरिए नहीं दबाया जा सकता। कोर्ट ने अपनी कड़ी टिप्पणी में कहा कि सार्वजानिक पदों पर बैठे लोगों को आलोचना से नहीं डरना चाहिए और हर आलोचकों के खिलाफ अवमानना का मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जया सरकार को कहा कि मानहानि के मुकदमों के लिए राज्य की मशीनरी का दुरुपयोग किया जाना गलत है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र इस तरह से नहीं चल सकता। सरकार किसी भी आलोचना करने वाले के खिलाफ इस तरह अवमानना का मुकदमा चलाने की इजाजत कैसे दे सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने जयाललिता को दोबारा नोटिस जारी कर इस मामले पर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। बुधवार को तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में बताया कि DMDK के खिलाफ 48 केस हैं, जिसमें से 28 पार्टी के मुखिया कैप्टन विजयकांत पर हैं। डीएमके के खिलाफ 85 केस, सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ 5 केस, कांग्रेस पर 7 केस और मीडिया के खिलाफ 55 केस दर्ज कराए गए हैं।

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