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चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (आप) के दाखा से विधायक हरविंद्र सिंह फूलका ने आज विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा बेअदबी कांड के लिए जिम्मेवार लोगों पर कार्रवाई न करने के रोष स्वरूप दिया है। फूलका का कहना है कि सरकार की नालायकी के कारण यह करना पड़ा, क्योंकि पुलिस अधिकारियों की ओर से हाईकोर्ट में जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पक्ष सही ढंग से नहीं रख पाए।

इस्तीफे में फूलका ने लिखा कि विधानसभा में कांग्रेस मंत्री नवजोत सिंह सिद्दू, चरणजीत चन्नी, तृप्त राजिंदर बाजवा, मनप्रीत बादल और और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भाषण तो लंबे लंबे दिए लेकिन कार्रवाई जरा भी नहीं हुई। सभी वक्ताओं ने कहा था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से पंजाब के लोगों की दिलों को ठेस पहुंची है। 

चंडीगढ़: पंजाब सरकार पराली जलाने के दोषी पाए जाने वाले किसानों को पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है। ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने गुरुवार को कहा कि सरकार पराली को जलाने पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठा रही है। मीडिया रिर्पोटस के अनुसार, सर्दी में पराली का जलाया जाना उत्तर भारत खासकर राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।

बाजवा ने कहा कि सरकार ने नियम का उल्लंघन करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने और उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए बड़ी संख्या में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं और जरूरी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी के साथ, सरकार किसानों को पराली जलाने का दोषी पाए जाने की स्थिति में उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने में अयोग्य बनाने के लिए पंचायती राज अधिनयिम में संशोधन करने के एक प्रस्ताव भी विचार कर रही है।

नई दिल्ली: सन 1988 में पंजाब के पटियाला में रोड रेज केस में पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्घू को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फिर से परीक्षण करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सिद्धू को जेल की सजा दी जाए या नहीं। शिकायककर्ता की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सजा पर विचार करने को तैयार हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्घू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट सिद्धू के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करेगा।

नियमों के मुताबिक पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जज चेंबर में फैसला लेते हैं। कई मामलों में जरूरत होने पर वे खुली अदालत में सुनवाई करते हैं। इस मामले में सिद्धू को नोटिस जारी किया गया है। यानि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर उनकी बात सुनना चाहता है। सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 323 के तहत साधारण मारपीट की सजा सुनाई थी। इसमें अधिकतम एक साल की सजा या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हैं। इस नए फैसले के तहत सिर्फ सजा पर ही विचार होगा, यानी एक साल की सजा पर ही। दोषी किस धारा में माना जाए, इस पर विचार नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने इस मामले में निर्देश जारी किया है।

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा का छोटा सा मानसून सत्र हंगामे से भरा रहा है। मंगलरवार को सत्र के आखिरी दिन शिअद विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया और स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जमकर तू तू मैं मैं हुई, वहीं बोलने के लिए कम समय मिलने के विरोध में शिअद विधायकों ने नारेबाजी की। इस दौरान सिद्धू और विक्रम मजीठिया बहस के साथ-साथ एक दूसरे को इशारे करते नजर आए। अमृतसर हलका दक्षिणी के कांग्रेस विधायक इंद्रबीर बुलारिया भी सिद्धू के पास आ गए और मजीठिया की तरफ चले जाने का इशारा करने लगे।

मामला इतना गरमा गया कि सिद्धू अपनी कुर्सी छोडक़र खड़े हो गए और बार बार मजीठिया की तरफ हाथ से इशारा करने लगे।  बलजीत सिंह दादूवाल और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैठक के विषय पर शिअद विधायकों ने सवाल उठाए और जमकर शोरगुल किया। शिअद विधायक सदन के वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे।

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