नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): भारत और चीन के बीच 2020 से शुरू हुआ विवाद आखिरकार सुलझ गया है, सेना के सूत्रों के अनुसार तय समय-सीमा के अनुसार, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में तनाव कम करने का काम पूरा कर लिया है। जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र में जल्द ही गश्त शुरू हो जाएगी। वहीं इस रिश्ते की बेहतर शुरुआत को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को दिवाली के अवसर पर चीनी पक्ष के सैनिकों के साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया जाएगा।
भारतीय सेना के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी साझा की और बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए भारत में चीनी राजदूत जू फेहोंग ने कहा कि दोनों देशों ने आपसी सहमति से मुद्दे को सुलझाया है। उन्होंने कहा, हम आपसी सहमति के बिंदु पर पहुंच गए हैं। पड़ोसी होने के नाते, हमारे बीच कुछ मुद्दे होंगे, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान) के बीच बैठक के बाद दोनों देश संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। हम जल्द ही भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करेंगे।
वहीं सेना सूत्रों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले दो बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पर कहा कि स्थानीय कमांडर स्तर पर वार्ता जारी रहेगी। फिलहाल पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले दो बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है। इसके बाद पूर्वी लद्दाख के डेमचोक, देपसांग में जल्द ही गश्त शुरू होगी। भारत और चीन के बीच हुए महत्वपूर्ण समझौते के बाद, दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के देमचोक और देपसांग में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाना शुरू किया था।
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत से निकला समाधान
भारत और चीन के बीच हुए इस अहम समझौते के बाद दोनों देशों ने दो अक्तूबर को पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचौक में टकराव वाले दो बिंदुओं पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की थी। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद से पूर्वी लद्दाक में एलएसी पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया का मतलब सैनिकों की वापसी से होता है। भारतीय सेना के अधिकारी देपसांग और डेमचौक में इस डिसइंगेजमेंट पर नजर रख रहे हैं। इन सब के बीच डेमचौक में दोनों ही तरफ से अभी तक कई टेंट हटाए जा चुके हैं। हालांकि, ये प्रक्रिया अब पूरी कर ली गई है।
भारत-चीन के बीच क्या रहा है सीमा विवाद?
पूर्वी लद्दाख में सात ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है। ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानि गलवान, 15 यानि हॉट स्प्रिंग, 17ए यानि गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है। अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। 2022 तक चार इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई।
दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी। अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की। जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई। इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए। जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने सिर्फ तीन सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी। फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी। फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे। इनपर 21 अक्तूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है। और डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है।
चीन और भारत के बीच समझौते में क्या कुछ हुआ था तय?
भारत और चीन के बीच 21 अक्तूबर 2024 के बीच हुए समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए दोनों देश राजी हो गए। इस समझौते के बाद अब चीन की सेना उन इलाकों से पीछे हटेगी जहां उसने अतिक्रमण किया था। इस समझौते को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्त्री ने बताया था कि सीमा से लगने वाले इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। अब इस समझौते के तहत ही दोनों देश कदम उठाएंगे।