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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में असम, त्रिपुरा, नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा लेकिन कहीं से भी हिंसक वारदातों की खबर नहीं आई। हालांकि, पश्चिम बंगाल में हिंसा की लपटें शनिवार को राज्य के कई हिस्सों में फैल गईं।
प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा में रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी तो कोना एक्सप्रेसवे पर छह बसों को आग के हवाले कर दिया। हाईवे बंद कर दिए और रेलगाड़ियां रोकीं।
हावड़ा में स्टेशन फूंका, सुरक्षाकर्मियों को पीटा
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में भीड़ ने संकरेल रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया और वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की। रेलवे सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, दोपहर के समय भीड़ स्टेशन परिसर में घुसी और टिकट काउंटर में आग लगा दी। जब रेलकर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो उनकी पिटाई की गई। उपद्रवियों ने स्टेशन मास्टर के कमरे में तोड़फोड़ की और सिग्नल केबिन को भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। प्रदर्शनकारियों कई दुकानों को भी आग के हवाले कर दिया।
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक रेलवे स्टेशन परिसर में शुक्रवार शाम को हजारों लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बेलडांगा रेलवे स्टेशन परिसर में तैनात आरपीएफ कर्मियों की पिटाई भी की। आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया, 'प्रदर्शनकारियों ने अचानक रेलवे स्टेशन परिसर में प्रवेश किया और प्लेटफॉर्म, दो-तीन इमारतों और रेलवे कार्यालयों में आग लगा दी। जब आरपीएफ कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्हें बेरहमी से पीटा गया।'
बांग्लादेश की सीमा से लगे मुर्शिदाबाद जिले में इस वजह से ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई। मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा जिले के उलुबेरिया रेलवे स्टेशन पर पटरियों को भी बाधित कर दिया और कुछ ट्रेनों में तोड़फोड़ की और ड्राइवर को भी पीटा। बता दें कि नागरिक संशोधन कानून के लागू होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
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कोलकाता: विभिन्न मुद्दों पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ टकराव के बीच बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करने के लिए विधानसभा में एक नया नियम पेश किया। पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कुलाधिपति और राज्य के विश्वविद्यालयों के बीच प्रत्यक्ष संवाद को लेकर एक नया नियम विधानसभा में पेश किया। नियम के तहत दोनों पक्षों के बीच उच्च शिक्षा विभाग के जरिये संवाद कायम किया जाएगा। राज्यपाल, राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है।
यह नियम राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों पर टकराव के बीच पेश किया गया है। नये नियम के तहत "कुलाधिपति द्वारा राज्य-सहायता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय से किया जाने वाला संवाद (उच्च शिक्षा) विभाग के माध्यम से होगा। इस नियम के जरिये कुलपति उच्च शिक्षा विभाग के साथ विचार-विमर्श करके निर्णय लेने से जुड़े अपने सर्वोच्च निकायों की बैठकें बुला सकेंगे। उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने हालांकि संवाददाताओं से कहा कि नया नियम किसी भी तरह से कुलाधिपति के अधिकार का उल्लंघन नहीं करेगा।
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कोलकाता: लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को 'विभाजनकारी' बताया और 'किसी भी कीमत पर विधेयक का विरोध करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते हुए बंगाल में कभी एनआरसी और कैब की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए ममता बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खड़गपुर में कहा कि आपको नागरिकता संशोधन विधेयक बिल से डरने की जरूरत नहीं है। हम आपके साथ हैं। जब तक हम यहां हैं, कोई भी आप पर कुछ भी नहीं थोप सकता। अमित शाह ने लोक सभा में विधेयक पेश करने के बाद कहा था कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं बल्कि घुसपैठियों के खिलाफ है। बनर्जी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा, “यह विभाजनकारी विधेयक है और इसका किसी भी कीमत पर विरोध होना चाहिए।”
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