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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक रेलवे स्टेशन परिसर में शुक्रवार शाम को हजारों लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बेलडांगा रेलवे स्टेशन परिसर में तैनात आरपीएफ कर्मियों की पिटाई भी की। आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया, 'प्रदर्शनकारियों ने अचानक रेलवे स्टेशन परिसर में प्रवेश किया और प्लेटफॉर्म, दो-तीन इमारतों और रेलवे कार्यालयों में आग लगा दी। जब आरपीएफ कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्हें बेरहमी से पीटा गया।'

बांग्लादेश की सीमा से लगे मुर्शिदाबाद जिले में इस वजह से ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई। मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा जिले ​के उलुबेरिया रेलवे स्टेशन पर पटरियों को भी बाधित कर दिया और कुछ ट्रेनों में तोड़फोड़ की और ड्राइवर को भी पीटा। बता दें कि नागरिक संशोधन कानून के लागू होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

इस बिल में मुस्लिम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर भेदभावपूर्ण होने और समानता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन का आरोप लगाया है।

क्या है साल 1985 में हुआ असम समझौता?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नागरिकता संशोधन बिल के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं। ममता बनर्जी ने चेतावनी दी है कि वह अपने राज्य में 'किसी भी परिस्थिति में' इसके कार्यान्वयन की अनुमति नहीं देंगी, और इसके खिलाफ कई रैलियों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 'नागरिकता अधिनियम भारत को विभाजित करेगा। जब तक हम सत्ता में हैं, तब तक राज्य में एक भी व्यक्ति को देश नहीं छोड़ना होगा।'

बंगाल के अलावा, पूर्वोत्तर, विशेष रूप से असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। गुवाहाटी में गुरुवार शाम पुलिस की गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारी भी मारे गए हैं। सेना पूरे असम में गश्त कर रही है। पूर्वोत्तर राज्यों को डर है कि कानून से पड़ोसी बांग्लादेश के आप्रवासियों को वैधता मिल जाएगी और क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदल जाएगी।

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