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मालदा: पश्चिम बंगाल सरकार राज्य के चार पारंपरिक मीठे व्यंजनों के लिए जीआई (ज्योग्राफिकल आईडेंटिफिकेशन) टैग का दर्जा हासिल करने की योजना बना रही है। इसके पीछे उद्देश्य इन मिठाइयों को नकल से बचाना और भविष्य में उनका निर्यात करना है। जीआई टैग एक तरह का चिह्न है जिसका इस्तेमाल किसी मूल भौगोलिक स्थल से संबंधित उत्पादों के लिए किया जाता है और जो (उत्पाद) उस मूल स्थान के कारण खास तरह की गुणवत्ता एवं प्रतिष्ठा रखते हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के निदेशक जयंत कुमार ऐकट ने कहा कि जिन चार मिठाइयों के लिए जीआई टैग मांगे जा रहे हैं, उनमें जयनगर की मोआ, कृष्णनगर का सरपुरिया और बर्धमान का सीताभोग और मिहीदाना शामिल हैं। ऐकट ने शुक्रवार शाम मालदा जिले में ‘मिष्टी मेला’ के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, ‘सस्ती नकल से बचाने के लिए इन चीजों के लिए जीआई टैग जरूरी है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट तलब की है जो कथित तौर पर जेएनयू मामले की तरह राष्ट्र विरोधी नारे लगा रहे थे। जेएनयू में ऐसी ही घटना के बाद छात्र संघ नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अपने संवाद में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से छात्रों के प्रदर्शन, उनके कार्यकलापों और रैली के दौरान उठाये गए मुद्दों एवं उनसे जुड़ी परिस्थितियों के बारे में रिपोर्ट भेजने को कहा है। पिछली शाम को जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने परिसर के भीतर विरोध मार्च निकाला था। वे कथित तौर पर संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू के पक्ष में नारे लगा रहे थे।

कोलकाता: जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मंगलवार को कोलकाता में जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाली गई रैली में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के पक्ष में नारे लगाए गए। बता दें कि जेएनयू के छात्र अपने नेता कन्हैया कुमार को कथित देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ आंदोलनरत हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर से दक्षिणी कोलकाता तक निकाली गई मशाल रैली में विश्वविद्यालय के सभी संकायों के छात्रों ने हिस्सा लिया और उसमें नारे लगाए गए, 'अफजल बोले आजादी', 'गिलानी बोले आजादी।' रैली के दौरान नारे लगाए गए, 'फ्रीडम फ्रॉम आरएसएस, फ्रीडम फ्रॉम मोदी गवर्नमेंट', 'जब कश्मीर ने मांगी आजादी, मणिपुर भी बोले आजादी।'

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे एवं तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी की ओर से सार्वजनिक तौर पर कहे जाने के करीब छह माह बाद पश्चिम बंगाल सरकार के एक मंत्री ने भी इस दावे को दोहराया है कि माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी को वर्ष 2011 में ममता बनर्जी ने मरवाया था। हुगली के बालागढ़ में बुधवार को एक रैली को संबोधित करते हुए राज्य के योजना मंत्री रचपाल सिंह ने कहा, 'टीवी और अखबारों के रिपोर्टर हमेशा किशनजी की बातें करते थे। उसे देखा भी जाता था, लेकिन पकड़ा नहीं जा रहा था।' रचपाल ने कहा, 'जब ममता राज्य की मुख्यमंत्री बनीं तो जानती थीं कि पुलिस अकेले दम पर उसे नहीं पकड़ सकती। इसलिए उन्होंने किशनजी के बारे में खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने की जिम्‍मेदारी अपने ऊपर ली और वह तीन माह में एक मुठभेड़ में मारा गया।'

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