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मालदा: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी खराब सेहत के कारण मंगलवार की शाम को नई दिल्ली लौट रहे हैं। पश्चिम बंगाल के झारग्राम में निर्धारित रैली में उनके शामिल होने की संभावना नहीं है। भाजपा के नेताओं ने यह जानकारी दी। मंगलवार को अपनी रैली में वह संबोधन के दौरान खांसते नजर आए थे। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अमित शाह बहुत बीमार हैं। उन्हें तेज बुखार है, लेकिन फिर भी उन्होंने मंगलवार की रैली में हिस्सा लिया। स्वाइन फ्लू की चपेट में आने के बाद अस्पताल में उनका इलाज हुआ था और कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

घोष ने कहा कि शाह मंगलवार शाम तक नई दिल्ली लौटेंगे, क्योंकि उनके डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी है कि वे खराब सेहत के कारण किसी रैली में हिस्सा नहीं लें। उन्होंने कहा कि यदि कल उनकी तबीयत ठीक रहती है, तभी वह बुधवार को झारग्राम में रैली को संबोधित करेंगे।

मालदा: पश्चिम बंगाल में भाजपा अभियान समिति के प्रमुख और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता मुकुल राय ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं। लेकिन विपक्षी दल उनका समर्थन नहीं करना चाहते, जिससे उनका सपना अधूरा रह सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में यहां आयोजित रैली को संबोधित करते हुए राय ने कहा, ‘यदि 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल 20 सीट से अधिक जीती तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।’

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख विकास योजनाओं के लिए सबसे बड़ी बाधक है। राय ने कहा कि सुश्री बनर्जी आयुष्मान भारत जैसी योजना का भी विरोध कर रही हैं, जिसका पूरे विश्व में सराहना की गई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘हमने अमित शाह से मालदा की दोनों सीटों समेत राज्य की 42 में से 22 से अधिक सीटें जीतने का वादा किया है।’

कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले एक रैली को संबोधित करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। शाह ने कहा कि ममता दीदी को डर था कि अगर हमारी यात्रा राज्य में निकलती है, तो उनकी सरकार की अंतिम यात्रा निकल जाएगी।

रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'यह चुनाव पार्टियों के बीच का चुनाव है। यह बंगाल की संस्कृति को समाप्त करने वाली टीएमसी को हराने का चुनाव है। यह बंगाल की जनता को निर्णय लेना है कि संस्कृति को बचाने वाली भाजपा को लाएंगे या उनकी संस्कृति को खत्म करने वाली टीएमसी को। सुभाष चंद्र को भुलाने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन पीएम मोदी सुभाष बाबू के जीवन, देशभक्ति और उनके बंगाल को अमर करने के लिए अंडमान के टापू का नाम सुभाष जी के नाम पर रखने का फैसला किया है।


 

साथ ही उन्होंने कहा, 'देश के आजाद होने के बाद पश्चिम बंगाल हर जगह देश का नेतृत्व करता था। कला, संस्कृति और हर क्षेत्र में बंगालियों का नाम था। एक लंबे के समय कम्युनिस्ट शासन और ममता दीदी के शोषण के बाद आज बंगाल जहां है, उसकी कल्पना आप नहीं कर सकते। एक समय बंगाल का औद्योगिक उत्पादन दर 27 फीसदी था जो आज 3.3 फीसदी रह गया है। बंगाल को टीएमसी ने कंगाल बना दिया। पहले 100 में 32 रोजगार बंगाल देता था, आज यह आंकड़ा महज चार का है। कम्युनिस्ट तो बुरे थे ही, बंगाल की जनता ने इन्हें निकालने के लिए परिवर्तन किया और टीएमसी को लाया। लेकिन आज जनता कहती है की टीएमसी से तो कम्युनिस्ट अच्छे थे। हर पांचवा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जी रहा है।'

इसके अलावा शाह ने कहा, 'बंगाल में टीएमसी की सरकार ने लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है। हम बंगाल में रथ यात्रा निकालने वाले थे लेकिन हमें राज्य सरकार ने रोक दिया। उन्हें लगा कि यह यात्रा उनके लिए अंतिम यात्रा न हो जाए। कोई बात नहीं दीदी हम ज्यादा मेहनत करेंगे लेकिन इस बार आपको बंगाल से हटाकर रहने वाले हैं। मैं आपको बताता हूं कि पंचायत चुनाव हुए थे, उस दौरान बड़ी संख्या में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। आपको कहता हूं और टीएमसी को भी कहता हूं कि पंचायत चुनाव वाली गलती लोकसभा चुनाव में मत करना। वर्ना हम ईंट से ईंट बजा देंगे। यह चुनाव बंगाल सरकार के अंडर नहीं होने वाला है। यह चुनाव आयोग के अंडर होगा, यहां पैरामिलिट्री होगी।'

दार्जिलिंग: भाजपा को पश्चिम बंगाल में तगड़ा झटका लगा है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपना गठबंधन तोड़ लिया है। पश्चिम बंगाल में जहां एक तरफ ममता बनर्जी ने सभी राजनीतिक दलों को मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट कर महारैली को अंजाम दिया तो वहीं अब पश्चिम बंगाल से ही भाजपा के लिए बुरी खबर है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया है और अब वो ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर तीसरा मोर्चा से मिलने की बात कर चुके है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अलग हो जाने से पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाके में आने वाली कम से कम चार लोकसभा सीटों पर भाजपा का समीकरण बिगड़ सकता है। इन्हीं चार सीटों में दार्जलिंग संसदीय सीट भी शामिल है।

भाजपा और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बीच 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन हुआ था। इसके बाद से भाजपा दार्जलिंग सीट पर काबिज है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अलग होने के बाद अब 2019 में भाजपा के लिए ये सीट जीतना एक बड़ी चुनौती होगी। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिनय तामांग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखते हुए कहा कि उनकी इच्छा अब किसी तीसरे गठबंधन का समर्थन करने की है।

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