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पटना: बिहार में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार करने के लिए राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की हैसियत से शुक्रवार को सभी शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे हर कार्य दिवस पर न्यूनतम 5 घंटे के लिए अपने कार्यस्थलों पर उपस्थित रहें। राजभवन सचिवालय द्वारा सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को जारी परिपत्र में सभी शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे विश्वविद्यालय और कॉलेज में हर कामकाजी दिवस पर अनिवार्य रूप से 5 घंटे के लिए उपस्थित रहें। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षकों की उपस्थिति के संबंध में कानूनों का भी ब्योरा दिया गया है। कुलाधिपति ने 18 जनवरी और 14 मई को कुलपतियों के साथ बैठक में उन्हें निर्देश दिया था कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में हर कार्यदिवस पर शिक्षक कम से कम 5 घंटे के लिए उपस्थित रहें। बिहार में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में साल में 180 कामकाजी दिन होते हैं।

पटना: राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा आज (शुक्रवार) यहां आयोजित इफ्तार पार्टी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और प्रसिद्ध वकील एवं राजद सांसद राम जेठमलानी सहित विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए। इफ्तार पार्टी का आयोजन लालू के बड़े बेटे और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के सरकारी बंगले पर किया गया। इफ्तार पार्टी में कई प्रमुख नेता मौजूद थे। विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी और विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी वहां मौजूद थे। लंबे समय बाद नीतीश और मांझी आसपास बैठे और दोनों नेताओं ने कहा कि यह एक सामाजिक अवसर है जिसमें विभिन्न दलों और जीवन के अलग-अलग क्षेत्र के लोगों की मौजूदगी स्वभाविक है। मुख्यमंत्री ने मांझी के साथ होने को लेकर पूछे जाने पर कहा, ‘‘यह एक सामाजिक अवसर है जिससें हर कोई शामिल होता है। उन्होंने इफ्तार पार्टी के आयोजन के लिए लालू यादव को बधाई दी। मांझी ने भी संवाददाताओं से कहा कि ‘‘इस तरह के आयोजन को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।’’ भाजपा की सहयोगी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख मांझी ने कहा कि वह कार्यक्रम में इसलिए शामिल हुए क्योंकि हाल में लालू भी उनके द्वारा आयोजित इस तरह के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। लालू ने कुशल मेजबान की भूमिका निभाई और अतिथियों को सहज महसूस कराने के लिए इधर से उधर घूमते दिखे।

पटना: गोपालगंज में अवर न्यायाधीश के साथ मारपीट की घटना पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार से कार्रवाई शुरू की। कोर्ट ने 4 जुलाई को मामले पर अगली सुनवाई के दौरान गृह सचिव सहित डीजीपी को घटना से संबंधित पूरे रिकार्ड के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया। गोपालगंज के जिला जज ने हाईकोर्ट को घटना की रिपोर्ट भेजी थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि घटना की सीडी व जांच रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों की ज्यादती सामने आई तो वे नतीजा भुगतने को तैयार रहें। अदालत ने मामले में कोर्ट के सहयोग के लिए अधिवक्ता विंध्याचल सिंह को एमाईक्स क्यूरी (कोर्ट मित्र) बहाल किया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि घटना की सूचना मिलते ही जिले के डीएम व एसपी घटनास्थल पर पहुंचे। डीएम व एसपी ने अपनी रिपोर्ट व सीडी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेज दी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार ने कमिश्नर को जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। श्री किशोर ने कोर्ट को बताया कि जिला परिषद के चुनाव के कारण क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। घटनास्थल पर तैनात पुलिसकर्मी के साथ दुर्व्यवहार करने की शिकायत मिली है। लेकिन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

बेगूसराय: जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया ने कहा कि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए देशद्रोह का मुद्दा उछाला जा रहा है। जब छात्र व युवा मोदी सरकार द्वारा किए गए वायदा पर चर्चा करते हैं तो उन्हें देशद्रोह करार दे दिया जाता है। कन्हैया ने गुरुवार को बीएसएस कॉलेजिएट में एक सभा में ये बातें कही। कन्हैया ने कहा कि बेगूसराय की धरती राष्ट्रकवि पैदा करती है, राष्ट्रद्रोही नहीं। कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई लोकलुभावन वायदे किए थे। उन्होंने महंगाई को नियंत्रित करने, कालाधन वापस लाकर सभी नागरिकों के खाते में पंद्रह लाख रुपए डालने, युवाओं को रोजगार देने आदि की घोषणा की थी। लेकिन, केंद्र में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार सभी मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुई है। इतना ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार युवाओं व किसानों को कुचलने में लगी है। उन्होंने कहा कि देश का विकास विभिन्न देशों की परिक्रमा व टैंक खरीदने से नहीं हो सकता है। असली सवाल यह है किसानों को वाजिब कीमत व देश की सीमाओं पर शहीद होनेवाले जवानों की विधवाओं को उचित पेंशन मिलती है या नहीं। सच्चाई यह है कि किसान वाजिब कीमत नहीं मिलने के कारण फांसी लगाने को बाध्य हो रहे हैं। कन्हैया ने कहा कि आज जब छात्र अपने उचित हक का मुद्दा उठा रहे हैं तो इसे दबाने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपने चाटूकारों को वीसी के पद पर तैनात कर रही है।

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