ताज़ा खबरें

पटना: लोकसभा चुनाव की आहट तेज हो रही है और इसके साथ ही सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है। इस बार कांग्रेस एनडीए बनाम महागठबंधन चुनाव कराने की कोशिश में है, लेकिन उसके लिए बिहार से नई मुश्किल सामने आई है। यूपी के बाद अब बिहार में महागठबंधन के घटल दल राहुल गांधी के नेतृत्व को नकारते नजर आ रहे हैं। यूपी में अखिलेश यादव और मायावती का साथ छूटने के बाद बिहार में आरजेडी भी कांग्रेस के कद को छोटा करने में लग गई है। इसका संकेत उस वक्त मिल गया था जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने यूपी में जाकर अखिलेश और मायावती से मुलाकात की। अब आरजेडी के और नेता भी कांग्रेस विरोधी सुर में बात करने लगे हैं।

आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव गठबंधन में होगी, लेकिन प्रधानमंत्री पद के दावेदार का फैसला इलेक्शन रिजल्ट के बाद होगा। कुछ इसी तरह की बात आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र भी बोलते नजर आ रहे हैं। उनका मानना है कि बिहार में बड़े भइया की भूमिका में कांग्रेस नहीं बल्कि आरजेडी है। राहुल गांधी कांग्रेस के नेता है, लेकिन महागठबंधन के नेता नहीं।

पटना: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दिया गया है। सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा से इस्तीफा देने की घोषणा की और कहा, 'मैं राजनीति से दूर नहीं हो रहा हूं।' दूसरी पार्टी में जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मेरे लिए सभी दरवाजे खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब महागठबंधन के दलों से बातचीत करूंगा।

उदय सिंह ने कहा, 'जब से राजनीति में आया हूं, तब से कड़ी मेहनत कर भाजपा को यहां पहुंचाया। पार्टी छोड़ने का मुझे बहुत दुख है।' भाजपा में लोकतंत्र समाप्त होने तथा तानाशाही होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, 'पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिल पाया। कार्यकर्ताओं और पूर्णिया क्षेत्र के लोगों से बात कर किसी दूसरी पार्टी में जाने का निर्णय लूंगा। पूर्व सांसद ने लोकसभा चुनाव में जद (यू) को बराबर हिस्सेदारी देने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इससे भाजपा ने बिहार में चुनाव पूर्व ही खुद को कमजोर मान लिया है।

पटना: मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्णों को सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर बिहार में सियासत तेज हो गई है। दरअसल, भाजपा को राजद पर हमला करने का मौका उस वक्त मिल गया, जब राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने कहा कि संसद में आरक्षण बिल का विरोध कर उनकी पार्टी से गलती हुई। बता दें कि राजद ने आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक का विरोध किया था। इस पर अब बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने राजद पर हमला बोला और सवर्ण जातियों से आने वाले राजद के तीन बड़े नेताओं से पूछा है कि अब किस मुंह से वह ऊंची जातियों के यहां वोट मांगने जाएंगे। हालांकि, सुशील मोदी के इस ट्वीट पर शिवानंद तिवारी ने पलटवार किया है।

सुशील मोदी ने अपने ट्विटर पर लिखा- ऊंची जाति के लोगों से द्वेष रखने और भूराबाल साफ करने जैसे अमर्यादित बयान देने वाले लालू प्रसाद के निर्देश पर राजद के सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक आधार पर सवर्णों को रिजर्वेशन देने वाले बिल का विरोध किया। पार्टी के सांसद-प्रवक्ता ने तथ्य, एसएमएस के आधार पर दावा किया है कि रिजर्वेशन का विरोध करने में न कोई गलती हुई, न यह फैसला हड़बड़ी में हुआ है।

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारों से सहमत नहीं हैं, लेकिन उसके नियमित रूप से काम करने का प्रशंसक हैं। पटना में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में नीतीश ने दावा किया कि बिहार में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है और राज्य में न्याय के साथ विकास हो रहा है। पहले बीजेपी का साथ छोड़ा था, अब फिर भाजपा के साथ क्यों? इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि परिस्थितियों और सोच में परिवर्तन आया है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहा हूं। परिस्थितियां बदल गई हैं। भारतीय जनता पार्टी हमारी पुरानी सहयोगी रही है, लेकिन कुछ मुद्दों पर जो स्टैंड हमारा पुराना था, आज भी वही है।” उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों के अपने-अपने विचार हैं, लेकिन जब साथ मिलकर सरकार चलाते हैं तो फिर मिलकर काम करना होता है। नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ जाने को अपनी गलती बताते हुए कहा कि कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई थीं कि ऐसा हुआ। उन्होंने कहा, “जिस महागठबंधन से निकलकर हमलोग बाहर हो गए, उसका नामकरण भी हमने ही किया था।”

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख