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नई दिल्ली: महाराष्ट्र का सियासी संकट गहराता ही जा रहा है. मामले की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना बागियों को राहत दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए दिया 14 दिन का वक्त दिया है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है। कोर्ट अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा।

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, अजय चौधरी, सुनील प्रभु व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। विधानसभा सचिव को भी नोटिस जारी किया गया है। पांच दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा गया है।

कोर्ट ने सभी विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराने और यथा स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले तक कोई फ्लोर टेस्ट नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यों ना अयोग्यता के मामले को तब तक रोक दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर से पूछा,”आप कहेंगे या हम कहें।”

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच उद्धव खेमे और शिंदे खेमे के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। इस बीच, शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बागी विधायकों के रवैये पर तीखा तंज कसा गया है। इसके साथ ही भाजपा को भी आड़े हाथों लिया गया है। संपादकीय में लिखा गया है कि आखिरकार, गुवाहाटी प्रकरण में भाजपा की धोती खुल ही गई।

शिवसेना विधायकों की बगावत उनका अंदरूनी मामला है, ऐसा ये लोग दिनदहाड़े कह रहे थे। परंतु, कहा जा रहा है कि वडोदरा में देवेंद्र फडणवीस और एकदास शिंदे की अंधेरे में गुप्त मीटिंग हुई। उस मुलाकात में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे। उसके बाद तुरंत ही 15 बागी विधायकों को केंद्र सरकार द्वारा ‘वाई' श्रेणी की विशेष सुरक्षा प्रदान करने का आदेश जारी किया गया। ये 15 विधायक मतलब मानो लोकतंत्र, आजादी के रखवाले हैं। इसलिए उनके बालों को भी नुकसान नहीं पहुंचने देंगे, ऐसा केंद्र को लगता है क्या? असल में ये लोग 50-50 करोड़ रुपयों में बेचे गए बैल अथवा ‘बिग बुल' हैं। यह लोकतंत्र को लगा कलंक ही है। उस कलंक को सुरक्षित रखने के लिए ये क्या उठापटक है?

मुंबई: महाराष्ट्र में बागियों की बढ़ती ताकत के बीच शिवसेना के ठाकरे गुट ने होशियारी से अपने कदम आगे बढ़ाने में जुटी है, जबकि बागियों के खेमे में उनका 9वां मंत्री भी रविवार को शामिल हो गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के गुट ने कानूनी दांवपेंचों के सहारे यह बताने का प्रयास किया है कि भले ही बागी गुट के पास 55 में से 40 से ज्यादा विधायक हो गए हों, लेकिन यह ज्यादा मायने नहीं रखता है। मुंबई में रविवार को शिवसेना सांसद अरविंद सावंत सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत के साथ प्रेस के सामने आए।

कामत ने कहा, "यह नैरेटिव बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि सिर्फ दो तिहाई बहुमत होने के कारण उन्हें अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा। आप किसी भी संवैधानिक जानकार से पूछिए तो पता चल जाएगा कि ये गलत है। दो तिहाई बहुमत का तर्क तब लागू होता है, जब वो किसी अन्य दल के साथ मिल गए हों।" उन्होंने कहा, "अयोग्यता की कार्यवाही 16 बागी विधायकों के खिलाफ शुरू कर दी गई है। कई जजमेंट हैं... सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधायकों का सदन के बाहर भी पार्टी विरोधी कृत्य अयोग्यता के दायरे में आता है।"

नई दिल्ली: महाराष्ट्र का सियासी संकट अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। गुवाहाटी में डेरा डाले शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है औऱ अयोग्यता के नोटिस को चुनौती दी है। असल में दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। एक याचिका में विधान सभा में शिंदे की जगह विधायक अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता और सुनील प्रभु को नया चीफ व्हिप बनाने को भी चुनौती दी गई है। पहली याचिका शिंदे की है और अयोग्यता की कार्यवाही को लेकर है। जबकि दूसरी याचिका विधायक भरत गोगावले की और से दाखिल की गई है। इसमें विधान सभा में शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ व्हिप की नियुक्तियों में बदलाव को चुनौती दी गई है।

सूत्रों के मुताबिक शिंदे शिविर ने अपनी याचिका की प्रति पहले ही इस मामले में प्रतिवादी महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दी है, ताकि कोर्ट में नोटिस का समय बचे। एकनाथ शिंदे और भरत गोगेवाल की याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच सुनवाई करेगी।

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