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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अरूणाचल प्रदेश में सरकार गठन का रास्ता वस्तुत: साफ कर दिया जब उसने यथास्थिति बरकरार रखने के अपने आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने यह आदेश गौहाटी उच्च न्यायालय के आदेश से संतुष्ट रहने के बाद दिया जिसमें कांग्रेस के 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के आदेश पर रोक लगा दी गई थी। न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कांग्रेस के 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी रिकॉर्ड का अध्ययन करने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया वह हाई कोर्ट के आदेश से संतुष्ट है। पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति एनवी रमण भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने को हम उन्मुख नहीं हैं और हम इससे संतुष्ट हैं।
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नई दिल्ली: जेएनयू विवाद से निपटने में केन्द्र के तरीके और दक्षिणपंथी ताकतों की कार्रवाई को ‘वैध’ ठहराए जाने के खिलाफ पार्टी से इस्तीफा देने वाले एबीवीपी के पदाधिकारियों ने कहा है कि भारत में तालिबान संस्कृति नहीं होनी चाहिए और कानून को अपना काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। एबीवीपी की जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल ने कहा ‘जेएनयू देश का सर्वाधिक राष्ट्रवादी संस्थान है। मुद्दे को लेकर सरकार के रवैये का मैं समर्थन नहीं करता।’ नरवाल ने कहा कि कन्हैया के बारे में दोष और सजा का फैसला उच्चतम न्यायालय को करने दिया जाए। कानून को अपना काम करने देना चाहिए और भारत में ‘‘तालिबान संस्कृति’’ नहीं होनी चाहिए।
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने खासकर पत्रकारों और नेताओं के लिए तथ्य जानने की महत्ता पर बल देते हुए गुरुवार को कहा कि लोग अनिश्चितकाल तक इस सोच के साथ नहीं रह सकते कि उन्हें अधिकतर चीजों के बारे में जानकारी है। उन्होंने ‘इंडिया-2016’ के विमोचन के अवसर पर यह बात कही। ‘इंडिया-2016’ एक पुस्तक है जिससें सरकार की उपलब्धियों, उसकी नीतियों, कार्यक्रमों और विकास संबंधी अन्य पक्षों की विस्तृत जानकारी दी गई है। जेटली ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ‘इंडिया-2016’ में जो जानकारी हैं, उसे देखते हुए हर किसी को, विशेषकर पत्रकारों और राजनेताओं को यह किताब अवश्य पढनी चाहिए। यह बहुत जरूरी है। क्योंकि हम कई तथ्यों से अनभिज्ञ हैं जिनका जिक्र इसमें किया गया है। हम अनिश्चितकाल तक इस सोच के साथ नहीं रह सकते कि हमें अधिकतर चीजों के बारे में पता है क्योंकि एक बार किताब पढने के बाद आपको एहसास होगा कि हम कितना कुछ नहीं जानते।’’
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नई दिल्ली: जेएनयू मामले में गिरफ्तार किए गए कन्हैया ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए वकीलों के पैनल ने भी सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप दी है। साथ ही वीडियो भी सौंपे हैं। हाईकोर्ट रजिस्ट्रार ने भी रिपोर्ट सौंप दी है। जमानत याचिका में कन्हैया ने कहा कि वह बेगुनाह है। पुलिस को अब हिरासत की जरूरत नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं और पहले ही उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं और पहले ही उसके साथ गुनाहगार जैसा बर्ताव किया गया। पटियाला हाउस में उसे पीट-पीटकर मार डालने की कोशिश की गई। उसके अधिकारों का हनन किया गया। याचिका में यह भी लिखा गया है कि पटियाला हाउस कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सुरक्षा नहीं हो पाई। वहां उसे फेयर ट्रायल नहीं मिलेगा। इसलिए ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट जमानत दे।
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