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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि कोई भी नाकामी स्थायी नहीं होती। अपने सिद्धांतों को ताक पर रखकर हासिल की गई कामयाबी लंबे समय तक नहीं टिकती। अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक स्मृति सभा में सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा, यदि कोई सिद्धांतों का पालन करता है, तो कोई भी नाकामी स्थायी नहीं होती। पिछले दिनों संपन्न हुए असम, केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस आलोचनाओं का सामना कर रही है। सामाजिक सदभाव की वकालत करते हुए सोनिया ने कहा, हमें सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देकर और उसे मजबूत कर भारतीय सरजमीं पर गिरे राजीव के खून के एक-एक कतरे का मोल चुकाना है। यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। तभी हम कह सकेंगे कि राजीव हम सब में हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने राजीव के किए गए कार्यों की जमकर सराहना की। बीमार होने के कारण कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस कार्यक्रम में नहीं आ सके। लेकिन उन्होंने ट्वीट कर पिता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट किया, एक पिता होने के नाते उन्होंने मुझे संघर्ष की महत्ता बताई। सिखाया कि कोई भी लक्ष्य संघर्ष किए बिना हासिल नहीं किया जा सकता। एक जन नेता तथा एक महामानव होने के नाते राजीव जी असंख्य लोगों के दिलों पर राज करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 25वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को याद किया गया।

नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल एकीकृत चिकित्सा प्रवेश परीक्षा, एनईईटी के दायरे से राज्य बोर्डों को बाहर रखने के लिए मोदी सरकार के अध्यादेश पर कानूनी सलाह मांगी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही कहा कि कुछ सवालों पर वह विधि विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर अध्यादेश का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को आंशिक तौर पर टालना है जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज एनईईटी के दायरे में आएंगे। क्या यह छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में चिन्हित राज्य की सीटों को भी छूट है। एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्य सरकारी बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को एनईईटी में नहीं बैठना होगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि हालांकि उन्हें अगले शैक्षणिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा। गौरतलब है कि नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का कई राज्यों ने विरोध किया है। इसी के बाद इस मामले को लेकर विशेष आदेश लाने की बात कही गई जिसे शुक्रवार सुबह कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई।

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 25वीं पुण्यतिथि पर आज (शनिवार) याद किया गया और इस अवसर पर कई नेताओं ने यहां उनके स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, दिवंगत नेता की पत्नी एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने पुत्र एवं पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पुत्री प्रियंका गांधी एवं दामाद रोबर्ट वाड्रा के साथ वीर भूमि में राजीव गांधी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, सुशील कुमार शिंदे, पी सी चाको, शीला दीक्षित और डीपीसीसी अध्यक्ष अजय माकन समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी। भारत के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में 21 मई 1991 में हत्या कर दी गई थी।

नई दिल्ली : साल 2011 की जनगणना के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 20.24 करोड़ हिंदू परिवार रहते हैं जबकि मुस्लिम परिवारों की संख्या 3.12 करोड़ और ईसाइयों के परिवारों की संख्या 63 लाख है। इसके अलावा 41 लाख सिख परिवार और 19 लाख जैन परिवार हैं। आंकड़ों के मुताबिक देश में परिवारों की कुल संख्या 24.88 करोड़ है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने यह आंकड़े जारी किये थे आज (शुक्रवार) पांच प्रदेश के चुनाव नतीजों के बाद भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने अचानक एक विज्ञप्ति जारी की है ? विज्ञप्ति के मुताबिक़ किसी मुस्लिम परिवार में औसतन 5.6 लोग, सिख परिवार में औसतन 5.1 लोग, हिंदू परिवार में औसतन 4.9 लोग, जैन परिवार में औसतन 4.8 लोग, बौद्ध परिवार में औसतन 4.6 लोग और ईसाई परिवार में औसतन 4.5 लोग रहते हैं। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, महिला प्रधान परिवारों का सबसे ज्यादा प्रतिशत (17.4 फीसदी) ईसाई समुदाय में पाया गया। इसके बाद बौद्ध (15.9 प्रतिशत) आते हैं। महिला प्रधान परिवारों का सबसे कम प्रतिशत (11.5 प्रतिशत) जैन समुदाय में पाया गया। लैंगिक आधार पर विविधता सबसे अधिक हिंदू समुदाय में है। हिंदू समुदाय में पुरूष प्रधान परिवार का आकार 4.9 है जबकि महिला प्रधान परिवार का आकार 3.8 है। यह विविधता सबसे कम सिख समुदाय में है।

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