नई दिल्ली: भारत ने चीन की यह दलील आज (शुक्रवार) खारिज कर दी कि उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के लिए एनपीटी पर हस्ताक्षर अवश्य ही करना चाहिए और कहा कि फ्रांस को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बगैर ही इस संगठन में शामिल कर लिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि यहां कुछ भ्रम है। यहां तक कि एनपीटी भी गैर एनपीटी देशों के साथ परमाणु सहयोग की इजाजत देता है। यदि कोई संबंध है तो यह एनएसजी और आईएईए सुरक्षामानकों और निर्यात नियंत्रणों के साथ है। ’’ उनसे चीन के एक अधिकारी के इस बयान के बारे में पूछा गया था कि चीन भारत द्वारा परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने के बाद एनएसजी के लिए उसकी कोशिश का समर्थन करेगा। स्वरूप ने कहा, ‘‘एनएसजी सदस्यों को सुरक्षामानकों और निर्यात नियंत्रणों का सम्मान करना है, परमाणु आपूर्ति एनएसजी दिशानिर्देश के अनुरूप हो।
एनएसजी एक तदर्थ निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है तथा फ्रांस, जो कुछ समय से एनपीटी सदस्य नहीं था, एनएसजी का सदस्य था, क्योंकि वह एनएसजी के उद्देश्यों का सम्मान करता था। ’’