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वॉशिंगटन: भारत इस सप्ताह मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में प्रवेश कर सकता है। इस कदम से अमेरिका से ड्रोन विमान खरीदने तथा अपने उच्च प्रौद्योगिकी वाले मिसाइल का मित्र देशों को निर्यात करने के उसके प्रयासों को बल मिलेगा। घटनाक्रम पर नजर रख रहे सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में घोषणा यथाशीघ्र और शायद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण पर होने जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान किए जाने की उम्मीद है। यह बड़ी सफलता भारत को उसकी इस घोषणा के बाद मिली कि बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ वह ‘द हेग आचार संहिता’ को अपना रहा है। इस आचार संहिता को प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूरक समझा जाता है। भारत ने इसकी सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था, लेकिन एमटीसीआर के कुछ सदस्य देशों ने इसका कड़ा विरोध किया जहां निर्णय आम सहमति पर आधारित होता है। ओबामा प्रशासन ने एमटीसीआर में भारत की सदस्यता और तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था ऑस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और वासेनार अरेंजमेंट की सदस्यता का जोरदार समर्थन किया है।

अप्रैल 1987 में स्थापित स्वैच्छिक एमटीसीआर का उद्देश्य बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र तथा अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है।

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