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मुंबई: भूमि सौदे में गड़बड़ियों सहित भ्रष्टाचार के कई आरोपों को लेकर सवालों के घेरे में आए महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया। यह नरेन्द्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी के भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने का प्रण लेकर भाजपा की कमान संभालने के बाद पार्टी को लगा पहला झटका है। खड़से के पास विकल्प नहीं बचे थे और केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें एक साफ और कड़ा संदेश दिया था जिसके बाद उत्तरी महाराष्ट्र के 64 साल के कद्दावर नेता आज सुबह यहां मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के आधिकारिक निवास पहुंचे और अपने इस्तीफे की पेशकश की। खड़से की किस्मत का फैसला दो दिन पहले ही हो गया था जब फडणवीस ने दिल्ली में मोदी और शाह को उनके खिलाफ लगे आरोपों की जानकारी दी थी। भाजपा नेतृत्व वाली राज्य की पहली सरकार को शर्मसार करने वाले यह आरोप न केवल कांग्रेस, राकांपा और आप ने लगाए बल्कि इन्हें लेकर सहयोगी शिवसेना ने भी खडसे को बर्खास्त करने की मांग की थी। राजस्व और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे खड़से को कैबिनेट में ‘नंबर दो’ समझा जाता था। वह पुणे में भूमि सौदे में गड़बड़ियों, कराची स्थित फरार गैंगस्टर दाउद इब्राहिम के घर से कथित फोन कॉल आने सहित कई आरोपों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। साथ ही उनके एक निजी सहायक पर भी कथित रूप से रिश्वत मांगने का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पुणे में अपनी पत्नी और दामाद के नाम पर 3.75 करोड़ रुपये की मामूली कीमत पर महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम की तीन एकड़ जमीन उसके असली मालिक से खरीदी थी।

बताया जाता है कि जमीन की बाजार कीमत 40 करोड़ रुपये है। खड़से ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह एक ‘अभूतपूर्व मीडिया ट्रायल’ के शिकार हुए हैं। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रावसाहब दानवे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते खड़से ने कहा , ‘पिछले 40 सालों से मैं राजनीति और पार्टी में हूं लेकिन कभी भी इस तरह के मीडिया ट्रायल से नहीं गुजरा।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे खिलाफ एक अभूतपूर्व मीडिया ट्रायल हुआ है। मैंने फडणवीस से मांग की कि आरोपों को लेकर जांच के आदेश दिए जाएं।’ कांग्रेस ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि खड़से को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उनके खिलाफ लगे आरोप ‘गंभीर’ हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, ‘केवल इस्तीफे से काम नहीं चलेगा। हम खड़से से जुड़े घोटालों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच चाहते हैं। हमें सरकार पर भरोसा नहीं है जो जांच को प्रभावित कर सकती है।’ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि खड़से का इस्तीफा देना निश्चित था। उन्होंने कहा कि हालांकि असली राजनीतिक फैसला यह है कि सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेती है। खड़से के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से भूख हड़ताल कर रहीं पूर्व आप नेता अंजलि दमानिया ने कहा कि खड़से की कारगुजारियों का खुलासा करने के बाद यह उनके लिए एक शुरुआती जीत है। आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने कहा, ‘हमें राहत मिली है कि पिछले कुछ हफ्तों में पूरी तरह पर्दाफाश किए जाने के बाद आखिरकार भाजपा ने खड़से को पद से हटा दिया।’

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