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नई दिल्ली: हरियाणा के जस्टिस एसएन धींगड़ा आयोग को गुरुवार को जांच रिपोर्ट सौंपनी थी। यह आयोग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा समेत कई लोगों पर गलत ढंग से जमीन लेने-बेचने के आरोपों की जांच कर रहा है। गुरुवार सुबह ही वाड्रा ने अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपों को झूठा और राजनीतिक फायदे के लिए लगाया जा रहा बताया जबकि कांग्रेस के कई नेता धींगड़ा पर ही आरोप लगाने लगे। वैसे, धींगड़ा ने रिपोर्ट सौंपने के लिए डेढ़ माह का समय मांगा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे की जांच के लिए सरकार द्वारा ढींगरा आयोग का गठन किया गया था। लंबे इंतजार के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि गुरुवार को आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा लेकिन आयोग ने फिर 6 हफ्तों का समय मांग लिया। वहीं रॉबर्ट वाड्रा ने गुरूवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा,सरकार द्वारा लगभग एक दशक से मुझ पर लगाए जा रहे झूठे और आधारहीन आरोप... मुझे हमेशा राजनैतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, मैं जानता हूं... लेकिन मैं हमेशा अपना सिर ऊंचा उठाकर चलूंगा। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ढींगरा ने जांच के लिए और मोहलत मांगते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को सूचित किया कि उन्हें कुछ नई जानकारियां मिली हैं, जो कि इस जमीन सौदे में शामिल सरकारी अधिकारियों की पहचान में मददगार साबित हो सकती हैं।
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरूवार) कैबिनेट में संभावित फेरबदल की चर्चाओं के बीच मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक में उन्होंने अपने मंत्रियों को ये निर्देश दिया कि योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचे । जानकारी के मुताबिक़ प्रधानमंत्री ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ करीब चार घंटे तक चली बैठक के दौरान मंत्रालयों के प्रदर्शन की समीक्षा की, ताकि बजटीय आवंटन के खर्च के बाबत हक़ीक़त का पता चल सके। बैठक में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से कहा कि योजनाओं को इस तरह से तैयार किया जाए कि उसका फायदा आम लोगों तक पहुंच सके। इस दौरान उन्होंने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर संतोष जताते हुए कहा कि नई योजनाएं लाने की जरूरत नहीं है, बल्कि मौजूदा योजनाओं में ही जरूरत के मुताबिक बदलाव लाया जाए। मोदी चाहते हैं कि चुनाव घोषणापत्र में जिन योजनाओं का जिक्र किया गया है, उन्हें सही भावना के साथ लागू किया जाए, ताकि विपक्ष को सरकार पर वायदे पूरा नहीं कर पाने का आरोप लगाने का मौका न मिल सके। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आगामी 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र से पहले केंद्रीय कैबिनेट में नए मंत्रियों के शामिल होने और कुछ जूनियर मंत्रियों को तरक्की मिलने की संभावना है। गौरतलब है की बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बीच इस मसले पर बैठक हुई।
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नई दिल्ली: आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता के साथ वैश्विक लड़ाई का आह्वान करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि आतंकवादियों को प्रायोजित करने वाले और उन्हें आसरा देने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी। ब्रिक्स युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ आतंकवादियों के बीच अंतर किये बिना लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। सुषमा ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन और भ्रष्टाचार जैसी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण तरीके से वैश्विक संवाद को आकार दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और उसकी विभिन्न समितियों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करने और संघर्ष करने की जरूरत है। यह ‘अच्छे’ या ‘बुरे’ आतंकवादी के किसी तरह के भेद के बिना किया जाना चाहिए।’ सुषमा ने कहा, ‘आतंकवादी आतंकवादी होता है और वह पूरी मानवता के खिलाफ काम कर रहा है। आतंकवादियों को प्रायोजित कर रहे और आसरा दे रहे देशों को इसकी कीमत अदा करनी होगी।’ भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता रखने के नाते अक्तूबर में गोवा में इस समूह के आठवें वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जल्द सुधारों के लिए मिलकर काम करने की भी जरूरत है ताकि यह समूह 21वीं सदी की जरूरतों के लिए संगत बना रहे।’
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): केंद्रीय सरकारी कर्मचारी कन्फेडरेशन और आरएसएस से सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ ने सरकार की ओर से घोषित वेतन बढ़ोतरी को खारिज कर दिया और अगले सप्ताह हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है, जिसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन हासिल है। कन्फेडरेशन ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर कैबिनेट द्वारा मंजूर वेतन वृद्धि ‘स्वीकार नहीं है।’ आरएसएस सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) समेत अन्य ट्रेड यूनियनों ने भी बढ़ोतरी को खारिज किया और कहा कि पिछले 17 वर्षों में यह न्यूनतम बढ़ोतरी है, सबसे महत्वपूर्ण ये है कि इससे न्यूनतम और अधिकतम वेतन में अंतर बहुत बढ़ेगा। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी सरकारी कर्मचारियों का पक्ष लिया है और वेतन बढ़ोतरी के खिलाफ एक देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है। वहीं, रक्षा बलों का कहना है कि इसमें उजागर हुई विसंगतियों पर ध्यान नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुये एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन वृद्धि का तोहफा दिया है। पेंशन और कर्मचारियों के मूल वेतन में ढाई गुणा वृद्धि से सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सरकार ने कहा है कि इसके अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी प्रभाव होंगे।
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