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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज (गुरूवार) तमिलनाडु सरकार से घरेलू सहायिकाओं के उत्पीडन के एक मामले में अन्नाद्रमुक से निष्कासित और राज्यसभा सदस्य शशिकला पुष्पा, उनके पति और बेटे के खिलाफ 22 अगस्त तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं से राहत के लिए तब तक तमिलनाडु की सक्षम अदालत से गुहार लगाने को कहा। अदालत ने कहा, ‘पुलिस 22 अगस्त तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाएगी।’ अदालत ने कहा कि वे तमिलनाडु में अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि अदालत ने इस मामले की कार्यवाही पर रोक वाला कोई आदेश पारित नहीं किया। उच्च न्यायालय ने कल अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को शशिकला, उनके पति लिंगेश्वर तिलाकन और बेटे प्रदीप राजा के खिलाफ आज तक कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका था। राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया था कि भादंसं और तमिलनाडु महिला उत्पीडन रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत पुदुक्कोतई जिले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। सुनवाई के दौरान कल याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंद्रजोग ने अदालत को बताया था कि उनके मुवक्किल फिलहाल दिल्ली में मौजूद हैं और उन्हें तमिलनाडु में सक्षम अदालत से गुहार लगाने के लिए कुछ संरक्षण मिलना चाहिए।

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