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नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बढ़ते डूबे कर्ज (एनपीए) की वास्तविक वजह बताने को कहा है। राजन ने समिति के समक्ष इसकी प्रमुख वजह कुल आर्थिक कमजोरी को बताया है। कांग्रेस नेता के.वी. थॉमस की अगुवाई वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) ने राजन के जवाब की समीक्षा की। समिति का कार्यकाल कल समाप्त हो गया है। सूत्रों ने बताया कि समिति के पुनर्गठन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर को भविष्य में उसके समक्ष पेश होने को कहा जा सकता है। इसके अलावा विभिन्न सरकारी बैंकों को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए समिति के समक्ष पेश होने का कहा जा सकता है। संसदीय समिति ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों की समीक्षा का फैसला किया था। दिसंबर, 2015 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 3.61 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दिसंबर के अंत तक 701 खाते ऐसे थे, जिनपर सरकारी बैंकों का बकाया 1.63 लाख करोड़ रुपये था। इन सभी खातों पर बकाया 100-100 करोड़ रुपये से अधिक था। इसमें सबसे अधिक हिस्सा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का था।
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नई दिल्ली: देश की कुल आबादी में करदाताओं की संख्या सिर्फ एक प्रतिशत हैं। हालांकि, 5,430 लोग ऐसे हैं जो सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स देते हैं। सरकार के आकलन वर्ष 2012-13 के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पारदर्शिता अभियान के तहत सरकार ने पिछले 15 साल के प्रत्यक्ष कर आंकड़ों को सार्वजनिक किया है। आकलन वर्ष 2012-13 के लिए लोगों के आंकड़ों को प्रकाशित किया गया है। इसमें 31 मार्च, 2012 को समाप्त वित्त वर्ष के आयकर के आंकड़े दिए गए हैं। कुल मिलाकर 2.87 करोड़ लोगों ने वित्त वर्ष के लिए आयकर रिटर्न दाखिल किया। इनमें से 1.62 करोड़ ने कोई टैक्स नहीं दिया। इस तरह करदाताओं की कुल संख्या 1.25 करोड़ रही, जो उस समय देश की 123 करोड़ की आबादी का लगभग एक प्रतिशत बैठता है। आंकड़ों के अनुसार ज्यादातर यानी 89 प्रतिशत या 1.11 करोड़ लोगों ने 1.5 लाख रुपये से कम का टैक्स दिया। इस दौरान औसत टैक्स भुगतान 21,000 रुपये रहा। कुल कर संग्रहण 23,000 करोड़ रुपये रहा। 100 से 500 करोड़ रुपये के दायरे में तीन लोगों ने 437 करोड़ रुपये का कर दिया। इस तरह औसत कर भुगतान 145.80 करोड़ रुपये रहा।
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नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल के बाद बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस (एलपीजी), मिट्टी के तेल तथा विमान ईंधन एटीएफ कीमतों में वैश्विक रुख के अनुरुप बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में कल रात पेट्रोल का दाम 1.06 रुपये लीटर बढ़कर 62.19 रुपये लीटर तथा डीजल का 2.94 रुपये लीटर बढ़कर 50.95 रुपये लीटर हो गया। इस बढ़ोतरी के बाद आज गैर सब्सिडी केरोसिन के दाम में 3 रुपये लीटर की बढ़ोतरी की गई है। राशन की दुकानों से अलग बेचे जाने वाले मिट्टी के तेल का दाम अब 49.10 रुपये लीटर होगा, जो अभी तक 46.17 रुपये लीटर था। इसी तरह बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलेंडर का दाम 18 रुपये बढ़ाया गया है। दिल्ली में बिना सब्सिडी वाले एलपीजी का दाम अब बढ़कर 527.50 रुपये हो गया है, जो अभी तक 509.50 रुपये था। इससे पिछले तीन महीनों के दौरान इसकी कीमतों में लगातार कटौती हुई थी। आखिरी बार एक अप्रैल को इसके दाम चार रुपये घटाए गए थे। एक मार्च को इसकी कीमत में 61.50 रुपये तथा एक फरवरी को 82.5 रुपये की कटौती की गई थी। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर का दाम दिल्ली में 419.15 रुपये प्रति सिलेंडर है। इसी तरह दिल्ली में आज विमान ईंधन, एटीएफ की कीमतों में भी डेढ़ प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। दिल्ली में एटीएफ का दाम 627 रुपये या 1.48 प्रतिशत प्रति किलोलीटर बढ़ाकर 42,784.01 रुपये प्रति किलोलीटर हो गया है।
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नई दिल्ली: सरकारी तेल कंपनियों ने शनिवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला किया। शनिवार आधी रात से पेट्रोल 1.06 रुपये और डीजल में 2.94 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। तेल की कीमतों में ताजा बढ़ोतरी के बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल अब 62.19 रुपये प्रति लीटर मिलेगा, जो अब तक 61.13 रुपये प्रति लीटर था। इसी तरह से डीजल भी अब 50.95 रुपये प्रति लीटर मिलेगा, जिसके लिए अभी तक आप 48.01 रुपये चुकाते थे। इससे पहले तेल की कीमतों में बदलाव 15 अप्रैल को हुआ था, तब पेट्रोल 0.74 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था और डीजल की कीमतों में भी 1.30 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी। जबकि मार्च में डीजल की कीमतें बढ़ी थीं। सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम हर महीने 1 और 15 तारीख को कीमतों की समीक्षा करती हैं। यह समीक्षा कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों और फॉरेन एक्सचेंज रेट से प्रभावित होती है। शुक्रवार को ही दुनियाभर में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है।
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