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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

लंदन: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, भारत के मौद्रिक नीति तैयार करना एक खेल जैसा आसान कार्य है। लेकिन दिक्कत तब आती है जब किसी मसले पर राजनीतिक मंजूरी लेनी होती है। ऐसी स्थिति में हमें नीति तैयार करते समय थोड़ी चालाकी भी बरतनी पड़ती है। छात्रों को संबोधित करते हुए राजन ने कहा, देश की वित्तीय नीति तैयार करते समय राजनीतिक व्यवधानों को पार करने के लिए आप बहुत तीखा रुख नहीं अपना सकते, इसके लिए जरूरी हो जाता है थोड़ी चालाकी भरा कदम उठाना। राजन ने कल शाम कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार वाले देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा कार्य कितना कठिन है और समझदारी भरा भी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने मजाक भरे लहजे में कहा, वित्तीय नीति तैयार करना बहुत आसान है, लेकिन इस नीति को लागू करना बहुत कठिन होता है।

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच तथा आईडीबीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामलों के संदर्भ में करीब 9,000 करोड़ रुपये मूल्य की स्वामित्व वाली संपत्ति तथा शेयर कुर्क करने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि ईडी मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के आपराधिक प्रावधानों के तहत संपत्ति को कुर्क करने के लिये देश भर में माल्या की संपत्ति की पहचान तथा उसके मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। उसने कहा कि ईडी माल्या के विभिन्न कंपनियों के शेयरों को कुर्क करने के अपने कदम के बारे में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को सूचित करेगा ताकि ‘थर्ड पार्टी’ अधिकार सृजित हो। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कहा कि कुर्क की जाने वाली संपत्ति के मूल्य का जो शुरूआती आकलन किया गया है, उसके तहत वह करीब 9000 करोड़ रपये है। यह माल्या के उपर बैंकों के बकाये के बराबर है। मामले की जांच कर रहे ईडी के अधिकारियों ने माल्या के बंगले, महंगी गाड़ियां, बैंक खाते तथा अन्य संपत्ति के मूल्य का आकलन पहले ही कर चुके हैं।

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) मामले में कांग्रेस से अपनी मांगों पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की अपील की है। सरकार ने कांग्रेस से विशेषतौर से विवाद निपटान के लिये न्यायाधीश की अध्यक्षता में पैनल गठित करने की मांग पर गौर करने को कहा है। सरकार का कहना है कि इससे कर निर्धारण की शक्तियां एक तरह से न्यायपालिका के हाथ में चली जायेंगी जो कि पहले ही धीरे धीरे, एक-एक कदम विधायिका के अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ कर रही है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को राज्यसभा में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से यह अपील की। इससे पहले कांग्रेस ने कहा कि यदि उसकी तीन मांगों को मान लिया जाता है तो वह जीएसटी का पूरी तरह समर्थन करने को तैयार है। जेटली ने कहा, ‘भगवान के लिये, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि भारतीय लोकतंत्र के हित में आप इस तरह की बात मत कीजिये (न्यायाधीश के नेतृत्व वाली समिति की)। भारत की न्यायपालिका जिस तरह से विधायिका और कार्यकारी अधिकारों के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रही है उसे देखते हुए संभवत: राजकोषीय और बजट बनाना ही आखिरी शक्तियां रह गई हैं जो आपके पास बचीं हैं।

नई दिल्ली: देश के 10 राज्यों में सूखे का अर्थव्यवस्था पर कम से कम 6,50,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है। देश के 256 जिलों के करीब 33 करोड़ लोग इस गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं, उनको राहत देने देने में यह अतिरिक्त बोझ अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। यह बात एक अध्ययन में कही गई है। प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ऐसोचैम ने एक बयान में कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून, जलाशयों में पानी की कमी और भूमिगत जल-स्तर कम होने के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित देश के 10 राज्यों में सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए गंभीर चुनौती पैदा हो गई है। उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘मोटे आकलन से यह संकेत मिलता है कि सूखे के कारण देश की अर्थव्यवस्था को 6,50,000 करोड़ रुपए यानी 100 अरब डालर का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है।’’ सूखे का असर कम से कम अगले छह महीने तक बना रह सकता है। इस साल मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी यदि फलीभूत भी होती है तब भी जमीनी स्तर पर गतिविधियां शुरू करने के लिए लोगों को संसाधन और समय की जरूरत होगी। रपट में कहा गया, ‘‘मान लिया जाए कि सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति के खाने, पानी, स्वास्थ्य आदि पर 3,000 रपए खर्च करती है तो सूखे से प्रभावित 33 करोड़ की आबादी पर करीब 1,00,000 करोड़ रुपए मासिक खर्च करना होगा।’’ रपट में कहा गया कि बिजली, उर्वरक और अन्य लागतों पर मिलने वाली सब्सिडी के नुकसान से यह असर कई गुना बढ़ जाएगा।

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