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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर 8.8 प्रतिशत की दर से ब्याज दिए जाने को मंजूरी दे दी है। पहले सरकार ने 8.7 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का फैसला किया था, जिसे ट्रेड यूनियनों विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते सरकार को बदलना पड़ा। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने ब्याज दर बढ़ोतरी की घोषणा की। दत्तात्रेय ने कहा, 'मुझे खुशी है कि वित्त मंत्रालय 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर देने पर सहमत हो गया है।' कर्मचारी यूनियनों ने आज ही वित्त मंत्रालय द्वारा ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत किए जाने के फैसले के विरोध में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने 2015-16 के लिए भविष्य निधि पर 8.8 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय किया था, जिसे वित्त मंत्रालय ने घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया था। यह तीसरा मौका है, जब सरकार को वार्षिक बजट में ईपीएफ से जुड़े प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा है। इससे पहले ईपीएफ निकासी पर टैक्स लगाने और ईपीएफ खाते में नियोक्ता द्वारा जमा राशि को निकालने के लिए कर्मचारियों की आयुसीमा बढ़ाकर 58 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव को भी भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था।

ये दोनों ही प्रस्ताव लाखों नौकरीपेशा लोगों के खिलाफ बताए गए थे और मध्य वर्ग एवं कर्मचारी यूनियनों में इसके खिलाफ काफी गुस्सा था। कुछ समय पहले केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था कि ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय सीबीटी की फरवरी, 2016 में हुई बैठक में 2015-16 के लिए केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पांच करोड़ से ज्यादा अंशधारकों के लिए 8.8 प्रतिशत की अंतरिम दर से ब्याज दिए जाने का प्रस्ताव किया था। हालांकि बाद में वित्त मंत्रालय ने 8.7 प्रतिशत की ब्याज दर मंजूर की। संभवत: यह पहला मौका था जबकि वित्त मंत्रालय ने सीबीटी की सिफारिश नहीं मानी थी और अंशधारकों को देय ब्याज में कमी की थी।

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