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टोक्यो: वित्त मंत्री अरुण जेटली आज (रविवार) छह दिवसीय यात्रा के तहत जापान पहुंच गए हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान वह जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ-साथ कई प्रमुख निवेशकों से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान वह सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सन से मुलाकात करेंगे ताकि भारत द्वारा जापान की इस दिग्गज दूरसंचार कंपनी के लिए पेश किए जा रहे निवेश के अवसरों पर चर्चा की जा सके। सॉफ्टबैंक पहले ही भारत में कई तकनीकी निवेश कर चुका है और उसने अगले दशक में इस निवेश को बढ़ाकर 10 अरब डॉलर करने की घोषणा की है। जेटली सुजूकी मोटर के अध्यक्ष ओसामू सुजूकी से भी मुलाकात करेंगे। सुजूकी मोटर भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र का सबसे बड़ा जापानी निवेशक है। वित्त मंत्री और आबे की मुलाकात कल होनी है। दोनों ही निक्केई इंक द्वारा ‘एशिया का भविष्य’ मुद्दे पर आयोजित 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करेंगे। 31 मई को वह ‘एशिया का भविष्य’ सम्मेलन में शिरकत करेंगे और फिर दोपहर को वह ‘नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्टक्चर फंड’ (एनआईआईएफ) पर एक गोलमेज संबोधन देंगे।
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लखनऊ: केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री रामविलास पासवान ने देश में दालों के दाम बढ़ने के लिये पिछले दो साल के दौरान हुई कम बारिश और आयात में कमी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने दाल की कमी से निपटने के लिये ठोस उपाय किये हैं और वह राज्यों को सस्ती दर पर दाल उपलब्ध कराने को तैयार है। पासवान ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल पर कहा कि दाल के दाम बढ़ने के कई कारण हैं। पहला, पिछले दो साल के दौरान कम बारिश के कारण फसलें खराब हुईं। दूसरा, दाल का टन थी। इस बार यह खपत 236 लाख टन होने का अनुमान है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दाल का आयात करने वाले निजी आयातकों नेआयात कम किया गया। उन्होंने कहा कि पिछले साल जहां देश में दाल का कुल उत्पादन 171 लाख टन हुआ था, वहीं मांग 226 लाख पिछली बार जरूरत से कम आयात किया, जिसकी वजह से दाल आम लोगों की थाली तक मुश्किल से पहुंची। फिर भी, सरकार ने दाल की कमी से निपटने के लिये ‘बफर स्टॉक’ बनाया है और कई अन्य रास्ते भी अपनाये जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकारें जितनी चाहें, केन्द्र सरकार उन्हें उतनी दाल उपलब्ध कराने को तैयार है। राज्यों से आग्रह है कि वे दाल को 120 रुपये प्रति किलोग्राम के दाम पर बेचने की पुख्ता व्यवस्था करें। इससे जनता को राहत मिलेगी।
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बरेली: भारत में हाई स्पीड ट्रेन का सपना साकार करने के लिए स्पेन से आए टैल्गो कोच का रविवार को बरेली से मुरादाबाद के बीच पहला 'स्पीड ट्रायल रन' मुकम्मल होने के साथ ही भारतीय रेल के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव मिश्र ने बरेली में बताया कि स्पेन से आए टैल्गो कोच का पहला स्पीड ट्रायल बरेली से हुआ। इसका सेंसर ट्रायल गत शुक्रवार को हुआ था। स्पीड ट्रायल के लिए देशी इंजन के पीछे विदेशी कोच लगाये गए। उन्होंने बताया कि इज्जतनगर रेल मंडल का इंजन नौ टैल्गो कोच बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या दो से मुरादाबाद के लिए सुबह 9.04 बजे रवाना हुआ जो 10.20 बजे मुरादाबाद पहुंचा। उसके बाद उसने इसी रूट से वापसी की। इस दौरान रेलगाड़ी को 100 से 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ाया गया। मिश्र ने बताया कि बरेली से मुरादाबाद के बीच 12 जून तक ट्रायल चलेगा। इसके बाद पलवल ट्रैक पर 180 किलोमीटर और दिल्ली से मुंबई के बीच 220 किलोमीटर की रफ़्तार से टैल्गो चलेगी। सभी ट्रायल पूरे होने के बाद रेल मंत्रालय ट्रायल रिपोर्ट का अध्ययन करके टैल्गो चलने का फैसला करेगा।
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नई दिल्ली: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमें जो प्याज बाजार में आज 20 रुपये किलो मिल रहा है इससे किसानों को प्रति किलो 4 रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों के अच्छे दिन की बात करने वाली मोदी सरकार जरा गौर करे। इस साल किसान थोक में प्याज औसतन 2 रुपये प्रतिकिलो की दर से बेच रहे हैं। आइए गौर करते हैं किसानों को कैसे हो रहा प्याज पर नुकसानः कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के अनुसार प्रति एकड़ प्याज की खेती पर लगभग 50 हजार रुपये की लागत आती है। प्याज की उत्पादन लागत औसतन 6.25 रुपये प्रति किलो आती है, जबकि प्याज उत्पादक राज्यों में किसानों को इसे थोक में औसतन दो रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ता है। एक एकड़ प्याज की खेती के लिए चार किलो बीज की जरूरत होती है और इसके लिए बाजार में किसानों को 10 हजार रुपये देना पड़ते है। प्याज के एक एकड़ खेत को तैयार करने पर 3000 से 4000 रुपये का खर्च आता है। खेत में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल पर 3000 से 5000 रुपये का खर्च आता है। प्याज की खेती के लिए इसके बीज को पहले नर्सरी में लगाया जाता है और यहां पौधा तैयार करने पर लगभग 2000 रुपये का खर्च आता है।
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