मुंबई: बैंकों द्वारा कंपनियों पर डूबे कर्ज के निपटान के लिए गैर प्रमुख संपत्तियों की बिक्री के लिए दबाव डाला जा रहा है। ऐसे में एसबीआई की शोध शाखा का मानना है कि पुराने कर्ज को निपटाने की प्रक्रिया के तहत भारतीय उद्योग 2,000 अरब रुपये की परिसंपत्तियों की बिक्री करेंगे। एक नोट में इसने कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि ऋण के बोझ से दबी कंपनियों द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों की बिक्री या तो पाइपलाइन में है या फिर उसे पहले ही पूरा किया जा चुका है। इन कंपनियों पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।’ नोट में कुछ हालिया उदाहरण दिए गए हैं जिनमें सांघी इंडस्ट्रीज, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, गिन्नी फिलामेंट्स तथा हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स जैसी कंपनियां कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया से निकल गई हैं। इस मामले में इन कंपनियों की मददगार अल्ट्राटेक, पीरामल तथा सनफार्मा के प्रवर्तक रहे। वर्ष 2015 में करीब 270 कंपनियों का ऋण बोझ 47,813 करोड़ रुपये घटा है। एसबीआई रिसर्च के नोट में ऋण के बोझ से दबे लैंको समूह द्वारा अपने कर्ज को घटाने के लिए संपत्तियों की बिक्री का जिक्र किया गया है।
समूह ने 2015-16 में अपना उदुपी संयंत्र 6,300 करोड़ रुपये में बेचा। इसके अलावा समूह 25,000 करोड़ रुपये की बिजली संपत्तियों की बिक्री का भी प्रयास कर रहा है। इससे वह अपने कर्ज में करीब 18,000 करोड़ रुपये की कमी कर सकेगा। नोट में कहा गया है कि ऊंचे ऋण वाले क्षेत्रों मसलन बिजली, बुनियादी ढांचा, इस्पात और रीयल्टी क्षेत्र की कंपनियां अब तेजी से संपत्तियों की बिक्री करने का प्रयास कर रही हैं। इसके अलावा कई विदेशी कंपनियां भी निवेश ला रही हैं जिससे वे भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकें।