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मुंबई: देश में जल्द ही नए डिजाइन वाले नोट जारी हो सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड ने गुरुवार को बैंक नोट के लिए नए तरह के डिजाइनों वाले एक सेट की सिफारिश की है। आरबीआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "केंद्रीय बोर्ड ने सरकार को नई बैंक नोट श्रृंखला के लिए कुछ डिजाइनों के सेट की सिफारिश की है, जो सरकार की मंजूरी के बाद उचित समय पर उपयोग की जाएगी।" बोर्ड ने अपनी 557वीं बैठक में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विमर्श किया। बोर्ड ने साथ ही आरबीआई के संचालन संबंधी कई मुद्दों पर भी बात की, जिसमें शामिल हैं सूचना प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा और एक आईटी सहायक कंपनी की स्थापना। आरबीआई ने कहा, "बैंक के काम-काज संबंधी कुछ अविलंब ध्यान देने योग्य विषय पर भी चर्चा हुई और उन्हें मंजूरी दी गई।" बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने की। इसमें अन्य अधिकारियों सहित चार गवर्नरों ने भी हिस्सा लिए। बैठक के मुताबिक, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
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मुंबई: देश का विदेशी पूंजी भंडार 13 मई को समाप्त सप्ताह में 96.8 करोड़ डॉलर घटकर 361.0267 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,982.3 अरब रुपये के बराबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा भंडार आलोच्य सप्ताह में 95 करोड़ डॉलर घटकर 337.046 अरब डॉलर हो गया, जो 22,386.2 अरब रुपये के बराबर है। बैंक के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इस पर भंडार में मौजूद पाउंड, स्टर्लिंग, येन जैसी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है। आलोच्य अवधि में देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य बिना किसी बदलाव के 20.043 अरब डॉलर बरकरार रहा, जो 1,333.2 अरब रुपये के बराबर है। इस दौरान देश के विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 69 लाख डॉलर घटकर 1.5038 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 100.4 अरब रुपये के बराबर है।
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नई दिल्ली: प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आगाह किया कि प्रतिस्पर्धा अनुकूल नीतियों के बिना केवल व्यावसाय प्रोत्साहन वाली नीतियों के साठगांठ वाले पूंजीवाद सहित कई खतरनाक नतीजे हो सकते हैं। उन्होंने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के वार्षिक दिवस व्याख्यान में कहा, ‘सिर्फ व्यापार को समर्थन देना काफी नहीं है। आपको प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहन देना होगा। यदि आप व्यापार को प्रोत्साहन दे रहे हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा को नहीं तो इसके परिणाम खतरनाक होंगे।’ इसके लिए उन्होंने रूस का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वहां काफी निजीकरण हुआ, लेकिन प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन के लिए कुछ नहीं किया गया है। इससे प्रभुत्व या एकाधिकार की स्थिति बनी। उन्होंने कहा कि भारत के नियमन वाली अर्थव्यवस्था से बाजार अर्थव्यवस्था बनने से सरकार के पास दोहरी क्षमता हो गई है। वह बीएसएनएल, साधारण बीमा कंपनियां और एलआईसी जैसे उपक्रमों का संचालन कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार और नियामकों के बीच एक निश्चित दूरी होनी चाहिए। ‘हम उनको जितना पेशेवर बना पाएंगे उतना ही हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा।’
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नई दिल्ली: आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन को बर्खास्त करने की भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी की मांग के बीच वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि उनके सेवा विस्तार का फैसला किसी से प्रभावित नहीं होगा।जेटली ने मंगलवार को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक जिम्मेदार संस्थान हैं तथा किसी अन्य कारक से प्रभावित हुए बिना निर्णय किए जाएंगे।उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मुद्दे महत्वपूर्ण हैं न कि व्यक्ति। दूसरी बात, रिजर्व बैंक के गवर्नर को दूसरा कार्यकाल मिलेगा या नहीं, या उनकी राय क्या है इसकी चर्चा चौराहे पर नहीं हो सकती।जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच परिपक्व स्तर का विचार विमर्श होता है। इसलिए इसपर हममें से किसी को सार्वजनिक चर्चा में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है। गौरतलब है की सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर कहा है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर पद से रघुराम राजन को हटा दिया जाना चाहिए। स्वामी ने रघुराम राजन पर 'देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान' पहुंचाने का आरोप लगाया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने लिखा है, "मैं डॉ राजन द्वारा जानबूझकर और सोचसमझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देने के किए जा रहे प्रयासों से स्तब्ध हूं।" भाजपा सांसद का आरोप है कि डॉ राजन 'भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने वाले व्यक्ति की तरह काम कर रहे हैं, किसी ऐसे शख्स की तरह नहीं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी चाहता हो।
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