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नई दिल्ली: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमें जो प्याज बाजार में आज 20 रुपये किलो मिल रहा है इससे किसानों को प्रति किलो 4 रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों के अच्छे दिन की बात करने वाली मोदी सरकार जरा गौर करे। इस साल किसान थोक में प्याज औसतन 2 रुपये प्रतिकिलो की दर से बेच रहे हैं। आइए गौर करते हैं किसानों को कैसे हो रहा प्याज पर नुकसानः कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के अनुसार प्रति एकड़ प्याज की खेती पर लगभग 50 हजार रुपये की लागत आती है। प्याज की उत्पादन लागत औसतन 6.25 रुपये प्रति किलो आती है, जबकि प्याज उत्पादक राज्यों में किसानों को इसे थोक में औसतन दो रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ता है। एक एकड़ प्याज की खेती के लिए चार किलो बीज की जरूरत होती है और इसके लिए बाजार में किसानों को 10 हजार रुपये देना पड़ते है। प्याज के एक एकड़ खेत को तैयार करने पर 3000 से 4000 रुपये का खर्च आता है। खेत में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल पर 3000 से 5000 रुपये का खर्च आता है। प्याज की खेती के लिए इसके बीज को पहले नर्सरी में लगाया जाता है और यहां पौधा तैयार करने पर लगभग 2000 रुपये का खर्च आता है।

नर्सरी से खेत में पौधे की रोपाई पर प्रति एकड़ 3000 रुपये का खर्च आता है। प्याज के तैयार होने तक इसकी सिंचाई पर 7000 से 8000 रुपये खर्च होते हैं। प्याज को कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव पर 3000 से 5000 रुपये की लागत आती है। निकाई गुड़ाई पर 2000 से 2500 रुपये खर्च किये जाते हैं। इसकी खुदाई तथा इसके बोरीबंद किये जाने पर 5000 से 10000 रुपये खर्च किये जाते हैं। प्याज की फसल को तैयार होने में 140 दिन का समय लगता है। प्रति एकड़ उत्पादन 80 से 100 क्विंटल तक होता है। फसल तैयार होने पर किसान इसे बेचने के लिए बाजार ले जाता है। यहां जो उत्पादन लागत दी गयी है, उसमें खेत का किराया, किसान की मेहनत तथा बाजार ले जाने का खर्च शामिल नहीं है।

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