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नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बैंकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे दो लाख करोड़ रुपये की अवसंरचना परियोजनाओं (इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट) को वित्त पोषण नहीं कर रहे हैं, जबकि यह उनके लिए 'सुनहरा मौका' है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रिजर्व बैंक इस रास्ते में अतिरिक्त जटिलता जोड़ रहा है। उन्होंने ईटी अवार्ड फॉर कार्पोरेट एक्सीलेंस में कहा, "हमारे पास कम से कम 150 परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत दो लाख करोड़ रुपये है। लेकिन निवेशकों के लिए बैंकों से कर्ज लेना कठिन हो गया है।"

मंत्री ने फंडिंग की इस समस्या को आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के निदेशक मंडल की बैठक से एक दिन पहले उठाया है, जो कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ केंद्रीय बैंक की तनातनी के बीच हो रही है। इन मुद्दों में तरलता की कमी, कर्ज के विस्तार जैसे मुद्दे पर मतभेद प्रमुख हैं। मंत्री ने कहा, "जहां तक विकास दर का सवाल है, रिजर्व बैंक के लिए देश में अवसंरचना को समर्थन देने का यह सही वक्त है। लेकिन कई बार आरबीआई के परिपत्र जटिलता को और बढ़ाते हैं।"

वाशिंगटन: फेसबुक के चेयरमैन मार्क जुकरबर्ग पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। फेसबुक द्वारा अपनी आलोचना को दबाने के लिए जनसंचार कंपनी नियुक्त करने की खबर के बाद निवेशकों ने जुकरबर्ग से इस्तीफा देने को कहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल में एक रिपोर्ट प्रकाशित कर खुलासा किया था कि फेसबुक आलोचनाओं को दबाने और लोगों के मन में कंपनी के खिलाफ गुस्से को दूर करने के लिए अरबपति कार्यकर्ता जॉर्ज सोरोस की सेवाएं लेती है। इसके अलावा आलोचना को प्रतिद्वंदी कंपनियों के तरफ मोड़ने का काम भी करती है।

वहीं टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका के मामले में आलोचना को दबाने के लिए उसने जनसंचार कंपनी डिफाइनर्स पब्लिक अफेयर्स की सहायता ली है। फेसबुक में 85 लाख पौंड की हिस्सेदारी रखने वाले ट्रिलियम एसेट मैनेजमेंट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जोनास करॉन ने जुकरबर्ग से इस्तीफा मांगा है। अखबार ने उनके हवाले से लिखा है, फेसबुक अजीब तरह का व्यवहार कर रही है।

नई दिल्ली: सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्णय लेने में वृहद भागीदारी चाहती है क्योंकि उसका मानना है कि मौजूदा चलन एक दिन की देरी के चलते ऋण के एनपीए में तब्दील होने जैसे कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उसे अलग रखता है। आरबीआई के बोर्ड की होने वाली अहम बैठक से पहले सूत्रों ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि लोगों के प्रतिनिधि होने के नाते उसे आरबीआई के महत्वपूर्ण नीति निर्णयों में शामिल होना चाहिए।

सूत्रों ने अपनी बात के समर्थन में कहा कि सरकार कहती है कि गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नरों की उपस्थिति से कुछ उप-समितियों का कोरम पूरा हो जाता है और किसी भी अन्य निदेशक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, गर्वनर की अध्यक्षता वाले आरबीआई के केन्द्रीय बोर्ड में दो सरकार नामित निदेशक और 11 स्वतंत्र निदेशक शामिल हैं।

नई दिल्ली: थोक महंगाई अक्तूबर में 5.28 प्रतिशत रहते हुए चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अक्तूबर में कच्चे तेल और उसके असर से पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से थोक महंगाई में यह उछाल आया है। थोक मुद्रास्फीति सितंबर में 5.13 प्रतिशत और पिछले साल अक्तूबर में 3.68 प्रतिशत थी। इससे पहले जून 2018 में यह दर 5.68 प्रतिशत रही थी।

सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ईंधन एवं बिजली खंड में महंगाई अक्तूबर में 18.44 प्रतिशत रही। पेट्रोल और डीजल के भाव इस दौरान क्रमश: 19.85 प्रतिशत और 23.91 प्रतिशत बढ़े। प्राकृतिक गैस के दाम भी अक्टूबर में 31.39 प्रतिशत बढ़े। वहीं एमएसपी बढ़ने से भी चावल-गेहूं की कीमतों से भी थोक महंगाई बढ़ी है।

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