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नई दिल्ली: थोक महंगाई अक्तूबर में 5.28 प्रतिशत रहते हुए चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अक्तूबर में कच्चे तेल और उसके असर से पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से थोक महंगाई में यह उछाल आया है। थोक मुद्रास्फीति सितंबर में 5.13 प्रतिशत और पिछले साल अक्तूबर में 3.68 प्रतिशत थी। इससे पहले जून 2018 में यह दर 5.68 प्रतिशत रही थी।

सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ईंधन एवं बिजली खंड में महंगाई अक्तूबर में 18.44 प्रतिशत रही। पेट्रोल और डीजल के भाव इस दौरान क्रमश: 19.85 प्रतिशत और 23.91 प्रतिशत बढ़े। प्राकृतिक गैस के दाम भी अक्टूबर में 31.39 प्रतिशत बढ़े। वहीं एमएसपी बढ़ने से भी चावल-गेहूं की कीमतों से भी थोक महंगाई बढ़ी है।

 

आलू के दाम करीब दोगुना, प्याज-दाल सस्ते

हालांकि अक्तूबर में खाद्य पदार्थों की कीमत में 1.49 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। खासकर सब्जियों के भाव अक्तूबर में 18.65 प्रतिशत कम हुए, जबकि सितंबर में इनमें 3.83 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि आलू के दाम 93.65 प्रतिशत बढ़े, जबकि प्याज 31.69% और दाल 13.92% सस्ते हुए।

खुदरा महंगाई में कमी आई थी

थोक महंगाई का रुख अक्तूबर में खुदरा महंगाई से उलट रहा है। सोमवार को जारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई अक्तूबर में कम होकर एक साल के निचले स्तर 3.31 प्रतिशत पर आ गई है।

आने वाले महीनों में नरमी दिखेगी

विश्लेषकों का कहना है कि अक्तूबर में थोक महंगाई चिंता का विषय नहीं है। दरअसल, नवंबर-दिसंबर और वित्तीय वर्ष के आने वाले महीनों में थोक महंगाई में कमी के आसार हैं। कच्चे तेल के साथ पेट्रोल-डीजल के दाम में नवंबर के दौरान बड़ी गिरावट आई है। त्योहारी मौसम खत्म होने के साथ फल-सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों में भी नरमी दिखना शुरू हो गई है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, कच्चे तेल में नरमी और रुपये की हालिया मजबूती से अक्टूबर-मार्च की अवधि में थोक मुद्रास्फीति 4.5 से पांच प्रतिशत के दायरे में ही रहेगी।

ब्याज दर बढ़ने की संभावना नहीं

रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तय करते हुए मुख्यत: खुदरा महंगाई को ही ध्यान में रखता है। ऐसे में आरबीआई द्वारा अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर बढ़ाने की संभावना बेहद कम है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 5 दिसंबर को ब्याज दर पर फैसला करेगी। थोक मुद्रास्फीति में उत्पादों की अधिक कीमतें तथा रुपये की गिरावट का प्रभाव दिखता है। जबकि खाद्य पदार्थों का सस्ता होना खुदरा मुद्रास्फीति की तुलना में थोक मुद्रास्फीति पर कम ही असर दिखा पाता है। महंगाई पर सख्त रुख और थोक मुद्रास्फीति बढ़ने के बाद भी रिजर्व बैंक की दिसंबर में ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। -अदिति नायर, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री

राहत के संकेत

76 डॉलर (अक्तूबर) से 65 डॉलर प्रति बैरल(नवंबर) हुआ कच्चा तेल

74.39 तक गिरने (अक्तूबर) के बाद नवंबर में 72.20 तक मजबूत हुआ रुपया

2.50 रुपये तक सस्ता हो चुका है पेट्रोल-डीजल कच्चे तेल में गिरावट के बाद

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